•अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने तीन साल पुराने फैसले को पलटते हुए ग्रुप-डी की राज्य स्तर पर भरती बंद कर दी है। अब यह भरती पुराने ढंग से ही होगी। सरकार ने भरती का विकेंद्रीकरण कर दिया है।
चौकीदार, सेवादार, चपरासी, माली, धोबी और अन्य ग्रुप-डी के पदों पर भरती करने का अधिकार संबंधित जिला उपायुक्त या विभागाध्यक्ष के पास रहा है। कई साल से इन पदों पर भरती नहीं हुई है, इसलिए ये पद हजारों की संख्या में खाली पड़े हैं। हरियाणा सरकार ने इन पदों का भी केंद्रीयकरण कर दिया और राज्य स्तर पर एक कमेटी गठित कर दी। इस कमेटी ने करीब तीन साल तक काम किया, लेकिन अंत में सबकुछ धराशायी हो गया।
सरकार को गलती का अहसास हुआ और ग्रुप-डी कमेटी के चेयरमैन ने ही इसमें गड़बड़ी की रिपोर्ट दे डाली। सरकार ने कमेटी और चयन प्रक्रिया रद कर दी। अब सरकार ने ग्रुप डी के पदों पर भरती करने का विकेंद्रीकरण करने का फैसला किया है।
इससे उपायुक्त कार्यालय, निकायों, बीडीपीओ, विभाग मुख्यालयों पर जरूरत ग्रुप-डी के कर्मियों की होती है।
•कई साल से इन पदों पर भरती नहीं हुई है इसलिए हजारों की संख्या में खाली पड़े हैं
डीसी और विभाग अध्यक्ष करेंगे भरती
हरियाणा सरकार की मुख्य सचिव उर्वशी गुलाटी का कहना है कि
सरकार ने फैसला किया है कि अब ग्रुप डी के पदों पर भरती पुराने तरीके से होगी। सरकार ने कहा है कि ग्रुप डी की भरती का विकेंद्रीकरण कर दिया जाए। उपायुक्त और विभागाध्यक्ष ही ग्रुप-डी की भरती करेंगे।
•2822 पदों के लिए चार लाख आवेदन
•चपरासी के 22 पदों के लिए 2.30 लाख व अन्य पदों के लिए 1.70 लाख आवेदन
हरियाणा सरकार ने करीब तीन साल पहले ग्रुप-डी के पांच हजार पदों पर कर्मचारी भरती करने के लिए एक तत्कालीन आईएएस अफसर जेपी कौशिक की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी। चपरासी के 22 पदों के लिए 2.30 लाख और अन्य 2800 पदों के लिए 1.70 लाख आवेदन आए। इतनी भारी संख्या में आवेदन आने से कमेटी के हाथ-पांव फूल गए। सरकार ने डीसी की अध्यक्षता में कमेटियां गठित कर दी। सबसे पहले चपरासी पदों के लिए आए 2.30 लाख आवेदनों में से 1.10 लाख को ही साक्षात्कार के लिए बुलाया। साक्षात्कार पूरे हुए कई महीने बीत चुके हैं। चपरासी की नौकरी का साक्षात्कार देने वाले युवकों को नौकरी की उम्मीद थी, लेकिन सरकार ने 27 जुलाई 2011 को भरती प्रक्रिया ही रद करने की घोषणा कर दी, इससे उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया।