Sunday 17 July 2011

निजी बीएड व डीएड कालेजों पर हाईकोर्ट सख्त

चण्डीगढ़ : राज्य में चल रहे निजी बीएड व डीएड कालेजों पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए एनसीटीई को इनका व्यापक निरीक्षण कर 19 जनवरी 2012 तक स्टेटस रिपोर्ट हाईकोर्ट में देने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने बिना राज्य सरकार के अनापत्ति प्रमाण पत्र के अंधाधुंध बीएड व डीएड कालेजों को मान्यता देने पर भी एनसीटीई की खिंचाई की। राज्य सरकार के अधिवक्ता बलराम यादव ने कहा कि राज्य सरकार व विश्वविद्यालयों द्वारा कई बार इस संबंध में एनसीटीई के समक्ष बीएड कालेजों को अंधाधुंध मान्यता देने पर आपत्ति दर्ज करवाई गई परंतु उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। हाईकोर्ट ने एनसीटीई से आगामी सुनवाई पर इस संबंध में एफीडेविट देने का आदेश दिया, जिसमें एनसीटीई बताए कि बिना राज्य सरकार के अनापत्ति प्रमाण पत्र दिए कैसे व क्यों जरूरत से ज्यादा बीएड  व डीएड कालेजों को  मान्यता प्रदान की गई। हाईकोर्ट ने नियमों पर खरे न उतरने वाले बीएड व डीएड कालेजों का व्यापक निरीक्षण कर स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि याचिका में दिए तथ्यों के अलावा अगर और भी तथ्य या अनियमितता याचिकाकर्ता के संज्ञान में हो तो उसे एनसीटीई के ध्यान में लाए।
    हाईकोर्ट में दलीप बिश्नोई द्वारा दायर जनहित याचिका में सूचना अधिकार अधिनियम के तहत हासिल सूचनाओं के आधार पर कहा गया कि अधिकांश निजी बीएड व डीएड कालेजों के पास न तो मूलभूत सुविधाएं हैं और ना ही वे एनसीटीई द्वारा निर्धारित मापदंड व मानकों पर खरे उतरते हैं। इन संस्थानों में से डिग्री बांटी जा रही है व अधिकांश प्रदेश से बाहर के छात्र कक्षाएं नहीं लगाते हैं। अधिकांश कालेजों में छात्रों से रकम ऐंठ कर हाजिरी पूरी कर दी जाती है। वहीं भारी जुर्माने लगाकर छात्रों का बड़े पैमाने पर शोषण  किया जाता है। याचिका में कहा गया कि अधिकांश निजी बीएड व डीएड कालेजो में शिक्षण हेतु निर्धारित मात्रा में पूरा स्टाफ नहीं है। कई कालेजों में स्कूल, अस्पताल जैसी अन्य गतिविधियां भी चल रही हैं। याचिका में निजी बीएड व डीएड कालेजों के संबंध में व्यापक जांच करने व नियमों पर खरे न उतरने वाले कालेजों की मान्यता समाप्त करने की मांग की गई।
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