दयानंद शर्मा, चंडीगढ़ राज्य में जेबीटी व बीएड कॉलेजों के नाम पर चल रही दुकानें जल्द बंद हो सकती हैं। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने नेशनल कांउसिल आफ टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) को निर्देश दिया है कि वह राज्य में चल रहे जेबीटी व बीएड कॉलेजों का निरीक्षण कर उसकी जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट में सौंपे। हाईकोर्ट ने यह निर्देश एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया है। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एनसीटीई को कहा कि वह याचिकाकर्ता द्वारा की गई शिकायत पर ध्यान देते हुए जांच करे। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उसने राज्य में नियमों को अनदेखा कर चल रहे व सरकार से बगैर अनापत्ति पत्र के चल रहे जेबीटी व बीएड कॉलेजों के बारे में कार्रवाई को लेकर कई बार एनसीटीई को लिखा, लेकिन एनसीटीई ने इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया। सरकार की इस शिकायत पर कोर्ट ने एनसीटीई को हलफनामा दायर कर कोर्ट में अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है। क्या है मामला : प्रदेश में जेबीटी व बीएड कॉलेजों के नाम पर चल रही दुकानों के खिलाफ फतेहाबाद निवासी दलीप बिश्नोई ने हाईकोर्ट में वकीलों राजेश बंसल व कर्मवीर बनियाना के माध्यम से याचिका दाखिल की थी। याचिका में उन्होंने निजी जेबीटी व बीएड कालेजों में अनियमितताओं व फर्जीवाड़ों की किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि अधिकतर कॉलेजों के पास उचित इमारत नहीं है और न ही विश्वविद्यालयों के पास इनके छात्रों व अध्यापकों की जानकारी है। राज्य में जेबीटी कॉलेज प्रशासन प्रापर्टी डीलर की तरह काम कर रहे हैं। याचिकाकर्ता ने एक कॉलेज का हवाला देते हुए बताया है कि टोहाना का डिफेंस कॉलेज आफ एजूकेशन पैसे देकर जेबीटी की फर्जी डिग्री करा रहा है। इस कालेज ने एक छात्रा ललिता जो अतिथि अध्यापक टीचर के पद पर अन्य स्थान पर कार्यरत है को नियमित छात्र के रूप में प्रवेश देकर रिकॉर्ड में पूरी हाजरी दिखाई है, जबकि इस दौरान वह स्कूल में पढ़ाती रही। उनके अनुसार ऐसे कई अन्य कॉलेज इसी तरह दुकान चला रहे हैं। याचिकाकर्ता के अनुसार उन्होंने सूचना का अधिकार से यह जानकारी जुटाई है। अधिकतर जेबीटी व बीएड कॉलेजों में प्रशिक्षित स्टाफ नहीं है। सरकार के आदेश के बाद अधिकतर सरकारी व निजी जेबीटी व बीएड कॉलेजों ने विश्वविद्यालयों से मान्यता नहीं ली है। याचिका में कॉलेजों में फर्जी हाजरी दिखाकर कोर्स कराने का भारी फर्जीवाड़ा किए जाने व बाहरी राज्यों के छात्रों से फर्जी हाजिरी व पास करने की एवज में 70000 से 100000 रुपये तक लेकर दाखिले किए जाने की जांच की मांग की गई है।