सतीश चौहान, कुरुक्षेत्र कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का एक और कारनामा सामने आया है। एक छात्र जो बीएससी में फेल था, उसे पास कर दिया गया। यह सब हुआ छात्र की कर्मचारियों से साठगांठ से। बिना फार्म भरे ही उसे पुनर्मूल्यांकन में पास कर दिया गया। मामला डुप्लीकेट डीएमसी निकलवाने के चक्कर में फंस गया और छात्र व कर्मचारियों की मिलीभगत का भंडाफोड़ हो गया। कुलपति डॉ. डीडीएस संधू ने मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं। जानकारी के अनुसार अंबाला के कुलवंत गिल ने अप्रैल 2009 में बीएससी की परीक्षा दी थी। इसमें वह फेल हो गया। इसके बाद उसने विवि कर्मचारियों से साठगांठ कर अपने नंबर बढ़वा लिए। नंबर बढ़ाने के बाद रिकार्ड में छात्र के नंबरों को 741 दिखाया गया। रिकार्ड में छात्र को पुनर्मूल्याकंन के बाद पास दिखाया गया है जबकि उसने पुनर्मूल्याकंन का फार्म भरा ही नहीं था। कहां हुई चूक ? : छात्र ने लगभग दस दिन पहले अपनी डुप्लीकेट अंकतालिका बनवाने के लिए फार्म भर दिया और यहीं उससे चूक हो गई। इसके बाद अंकतालिका बनाने की जिम्मेदारी विश्र्वविद्यालय के डुप्लीकेट विभाग के पास चली जाती है। आरंभिक जांच में ही इस गड़बड़ी को पकड़ लिया गया। विवि के परीक्षा नियंत्रक यशपाल गोस्वामी ने बताया कि मामले की जांच के लिए कमेटी गठित करने को फाइल कुलपति के पास भेज दी गई है। वहीं, कुलपति डॉ. डीडीएस संधू ने कहा कि मामले की जांच कराई जाएगी। अगर कोई कर्मचारी दोषी पाया जाता है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। पहले भी बढ़ाए गए थे अंक : कुवि में इससे पहले भी इसी प्रकार का मामला सामने आ चुका है। दो वर्ष पहले अनुबंध पर लगे कुछ कर्मचारियों ने अपनी ही सीट को बदलकर अंक बढ़ाने की कोशिश की थी। इसके बाद मामले की जांच की गई और उन्हें ड्यूटी से हटा दिया गया। उस समय कुलपति ने सभी कार्यालय अध्यक्षों को अनुबंध आधार पर लगे कर्मचारियों से गोपनीय कार्य न कराने के आदेश भी जारी किए थे। नंबर बढ़ाने वाले गिरोह भी आ सकते हैं सामने : यदि मामले की ठीक से जांच हो तो नंबर बढ़ाने वाले गिरोह भी सामने आ सकते हैं। जाहिर सी बात है कि कुवि कर्मचारियों की साठगांठ से ही यह धंधा चल रहा होगा। यदि कुलवंत डुप्लीकेट डीएमसी का फार्म भरने की गलती नहीं करता तथा पहले की तरह ही उसे रिजल्ट ब्रांच से ही डीएमसी जारी कर दी जाती तो यह मामला दब जाता।