नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो : छह साल तक की उम्र के लड़के-लड़कियों के अनुपात के मामले में हिंदुस्तान की स्थिति सबसे बुरे दौर में पहुंच गई है। ताजा जनगणना में हर एक हजार बालकों के मुकाबले 914 बालिकाएं ही पाई गई हैं। इस लिहाज से सबसे संवेदनशील माने गए पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में हालांकि सकारात्मक बदलाव की शुरुआत हो गई है, लेकिन मौजूदा स्थिति से बनती तस्वीर बेहद भयावह है। जनगणना-2011 के अनंतिम आंकड़े लड़कियों की स्थिति को लेकर हमें अपनी मानसिकता बदलने की तत्काल जरूरत बताते हैं। लड़कों के मुकाबले लड़कियों का अनुपात पिछले दशक के 927 से भी घटकर 914 हो गया है। कुल आबादी में हालांकि महिलाओं का अनुपात पिछली जनगणना के 933 से बढ़कर 940 हो गया है। छह साल तक की आबादी में लड़के-लड़कियों के अनुपात के मामले में हरियाणा और पंजाब 830 और 846 के अनुपात के साथ सबसे निचले पायदान पर हैं। हरियाणा में एक दशक पहले प्रति एक हजार लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या 819 तक पहुंच गई थी। पंजाब में तो यह 798 तक गिर गई थी। इस लिहाज से दोनों राज्यों ने हालांकि अपनी स्थिति में सुधार किया है लेकिन अब भी उन्हें काफी सुधार की जरूरत है। आज भी देश के दो सबसे कब बच्चियों वाले जिले हरियाणा के ही झज्जर और महेंद्रगढ़ हैं। इस अनुपात में सबसे अच्छी स्थिति मिजोरम की है। मिजोरम में 1,000 लड़कों के मुकाबले लड़कियों का अनुपात 971 पाया गया। मिजोरम के अलावा बच्चियों का 960 से अधिक अनुपात सिर्फ अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, छत्तीसगढ़ और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में ही पाया गया