Friday 18 March 2011

समायोजन की भूल-भुलैया अतिथि अध्यापकों का मामला

समायोजन की भूल-भुलैया अतिथि अध्यापकों का मामला पुराने जख्म की तरह फिर हरा हो गया है। पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय ने सरकार की चिंताएं यह पूछ कर बढ़ा दी है कि प्रदेश में कितने अतिथि अध्यापक कार्यरत हैं और सरकार उनके बदले नियुक्ति के लिए क्या कदम उठा रही है। अतिथि, जेबीटी, बीएड अध्यापकों की नियुक्ति और फिर उनके समायोजन की दुविधा किसी त्रिशूल से कम नहीं लग रही। पात्र अध्यापक अलग से ढोल-नगाड़े बजा कर सरकार की नींद उड़ा रहे हैं। ऐसे में हाईकोर्ट के नए आदेश से समायोजन संबंधी फाइल तैयार करने और उसे कोर्ट में पेश करने में खासी मशक्कत करनी पड़ सकती है। सरकार की प्रशासनिक दक्षता पर राजनीतिक प्रतिबद्धता जब-तब हावी होती दिखाई देती है। गेस्ट टीचरों के प्रतिनिधिमंडल बार-बार मुख्यमंत्री से मिल कर उन्हें समायोजित करने का आश्वासन ले चुके हैं। प्रदेश में इस समय अतिथि अध्यापकों की संख्या लगभग 20 हजार है। जिस उद्देश्य से इनकी भर्ती की गई थी वर्तमान में परिस्थितिजन्य आधार भी खत्म हो चुका है क्योंकि नौ हजार जेबीटी की भर्ती एकमुश्त की जा चुकी है। उन्हें समायोजित करने में राज्य सरकार की सांस फूल रही है। वर्षो से राजकीय स्कूलों में अध्यापन कार्यो में जुटे सैकड़ों शिक्षकों को सर्वशिक्षा अभियान में झोंक कर जेबीटी का समायोजन किया गया है। स्कूलों में अब एक नई तरह की सियासत चल निकली है। कोई पोस्ट वेकेंट ही नहीं दिखाई जाती और गेस्ट टीचर बिना किसी चिंता के कामकाज में संलग्न हैं। आंकड़ों की कलाबाजी स्कूल से लेकर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के स्तर तक जारी है। प्रदेश सरकार अपने आश्वासन के मुताबिक अतिथि अध्यापकों को तो समायोजित करे ही पर साथ ही जेबीटी व बीएड को एडजस्ट करने में भी अनावश्यक विलंब न करे। हालात से अनुमान लगाना ज्यादा मुश्किल नहीं है कि कहीं न कहीं योजना व रणनीति के स्तर पर चूक हुई है। अब उसे ठीक करना भी तो सरकार के सरोकारों-दायित्वों में शुमार है। दूरदर्शिता एवं दीर्घकालिक दृष्टिकोण पर आधारित योजनाओं में रोजाना की चक-चक के लिए कोई गुंजाइश नहीं बचती। जल्दबाजी में त्रुटि की आशंका बनी रहती है। अध्यापकों को इस गलती की भूल-भुलैया में न फंसाया जाए। प्रदेश सरकार की नीति और नीयत पर किसी को तनिक भी संदेह नहीं, लेकिन प्रगतिशील नेतृत्व से जो अपेक्षाएं हैं, वे पूरी होनी ही चाहिए।
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