नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : अगर किसी व्यक्ति की तलाकशुदा पत्नी का किसी अन्य व्यक्ति से व्याभिचारी रिश्ता है तो यह जरूरी नहीं है कि उसे उसके तलाकशुदा पति से मिलने वाला गुजारा भत्ता बंद कर दिया जाए। भारतीय कानून के अनुसार तलाकशुदा पत्नी अपने पति से तब तक गुजारा भत्ता पाने की हकदार है, जब तक वह दोबारा से विवाह नहीं कर लेती। यह टिप्पणी करते हुए कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश टीआर नवल की अदालत ने दिल्ली पुलिस के एक कांस्टेबल द्वारा अदालत में पत्नी का गुजारा भत्ता बंद कराने की मांग संबंधी याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कांस्टेबल की तलाकशुदा पत्नी के संबंध में मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट द्वारा सुनाए गए फैसले को सही और तर्कसंगत कहा। दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल का उसकी पत्नी से तलाक होने के बाद मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट ने कांस्टेबल को 2 अगस्त 2011 को आदेश जारी किए थे कि वह तलाकशुदा पत्नी को 4 हजार रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता के रूप में देगा। यह राशि उसे तब तक देनी होगी, जब तक उसकी पत्नी दोबारा से शादी नहीं कर लेती। अदालत के इस फैसले के खिलाफ कांस्टेबल ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश टीआर नवल की अदालत में याचिका दायर की थी। उसका कहना था कि निचली अदालत द्वारा सुनाया गया फैसला तर्कसंगत नहीं है। उसकी तलाकशुदा पत्नी के एक व्यक्ति के साथ व्याभिचारी रिश्ते हैं। गुजारा भत्ता बंद कराया जाए। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश टीआर नवल ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कांस्टेबल द्वारा दायर याचिका में गुजारा भत्ता बंद करने के लिए तलाकशुदा पत्नी का व्याभिचारी रिश्ता उचित कानूनी आधार नहीं है। यह कहते हुए अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया।