Monday, 21 November 2011

सुप्रीम कोर्ट के खौफ से प्रकट हुई गायब फाइल

माला दीक्षित, नई दिल्ली जब अदालत का शिकंजा कसता है तो हर चीज कैसे दुरुस्त हो जाती है, यह प्रकरण इसका नायाब नमूना है। स्थानांतरण से संबंधित एक मामले में नौ महीने से गायब फाइल सुप्रीम कोर्ट की नजरें टेढ़ी होते ही अचानक प्रकट हो गई। दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट भेजी है कि उसे 29 अक्टूबर को पार्सल के जरिय फाइल मिली है। अब सुप्रीम कोर्ट सोमवार को मामले की सुनवाई करेगा। मामला दिल्ली के अकबरपुर माजरा निवासी ट्रक क्लीनर विजेंदर कुमार की अक्टूबर 2000 में मुजफ्फरनगर में हुई हत्या के मुकदमे से संबंधित है। यह मुकदमा मुजफ्फरनगर की अदालत में चल रहा था। इसमें देरी से असंतुष्ट विजेंदर के पिता नवलकिशोर ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी में मुकदमे को मुजफ्फरनगर से दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत स्थानांतरित करने का आदेश दे दिया। मगर वहां भी सुनवाई नहीं शुरू हो सकी। कड़कड़डूमा अदालत का कहना था कि उसे मुजफ्फरनगर से मुकदमे की मूल फाइल ही नहीं मिली है, जबकि मुजफ्फरनगर की अदालत बराबर इस बात पर जोर दे रही थी कि उसने फाइल भेज दी है। इस तरह दो अदालतों की खींचतान में मामला फंसा हुआ था। इस पर नवलकिशोर ने फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों अदालतों के रवैये पर सख्त एतराज जताया और फाइल का जल्द से जल्द पता लगाने के निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट का डर काम कर गया। आठ नवंबर को कड़कड़डूमा स्थित पूर्वी जिले के जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट भेज कर बताया है कि उन्हें 29 अक्टूबर को मुकदमे की फाइल डाक से प्राप्त हुई है।
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