चंडीगढ़, एजेंसी : भारत के पूर्व हॉकी गोलकीपर बलजीत सिंह ने अपनी बढ़ती मुश्किलों के लिए केंद्र और पंजाब सरकार के उदासीन रवैये को कसूरवार ठहराया है। पुणे में 2009 में अभ्यास शिविर के दौरान बलजीत की आंख में चोट लगी थी। होशियारपुर के इस 30 वर्षीय खिलाड़ी ने पंजाब सरकार के पक्षपातपूर्ण रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि उसे दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है। बलजीत ने कहा कि उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की तरफ से एक सरकारी अधिकारी जुलाई 2009 में उसकी चोट देखने आया था और उसने हर संभव मदद का आश्वासन दिया था। मुझे आश्वासन दिया गया था कि उपचार में हरसंभव मदद की जाएगी और मुझे सरकारी नौकरी भी मिलेगी। बलजीत ने कहा, मेरा एम्स में ऑपरेशन हुआ और बाद में खेल मंत्रालय द्वारा खर्च वहन करने पर मंजूरी जताने के बाद मैं अमेरिका भी गया लेकिन उपचार के बीच से ही मुझे बुला लिया गया भारत में उपचार कराने के लिए कहा गया। केंद्र सरकार ने मेरी कोई मदद नहीं की। उन्होंने कहा, पिछले साल अक्टूबर में मैंने बादल से मुलाकात की जो पंजाब के खेलमंत्री भी हैं। उनकी सलाह पर मैंने डीजीपी से मुलाकात की। मेरी फाइनल खेल सचिव को भेजी गई। इस बीच पुलिस में नौकरी के लिए मुझे इंटरव्यू के लिए बुलाया गया और मेरा शारीरिक टेस्ट भी कराया गया। बलजीत ने कहा कि मुझे छह महीने में कोई जवाब नहीं मिला। मैंने फिर उप मुख्यमंत्री से मुलाकात की जिन्होंने मुझे प्रमुख सचिव विश्वजीत खन्ना से मिलने के लिए कहा। मैंने उनसे मुलाकात की जिन्होंने मुझे खेल सचिव से मिलने को कहा। खेल सचिव ने मुझे खेल निदेशक परगट सिंह से मिलने को कहा। परगट सिंह ने उसे गृह सचिव से मिलने को कहा। हाल ही में उनके दफ्तर से उन्हें पता चला कि उनकी फाइल गृह विभाग ने खारिज कर दी है।