हरियाणा के खेल मंत्री सुखबीर कटारिया ने देश में शिक्षा के अधिकार की तरह ‘खेलने का अधिकार’ कानून बनाए जाने पर जोर दिया है। इससे जन साधारण में खेलों के प्रति रुझान पैदा होगा तथा खेलों और खिलाडिय़ों का विकास होगा। कटारिया ने कहा है कि इससे लोगों को छोटी आयु से ही खेलने का अवसर मिलेगा, जिससे न केवल शारीरिक विकास होगा, बल्कि यह सामाजिक सौहार्द और आर्थिक विकास में भी यह सहायक होगा। वे शनिवार को यहां विज्ञान भवन में आयोजित राज्यों के युवा कार्य और खेल मंत्रियों के सम्मेलन में बोल रहे थे। सम्मेलन की अध्यक्षता केन्द्रीय युवा कार्य एवं खेल मंत्री अजय माकन ने की। सम्मेलन में सभी राज्यों के युवा कार्य और खेल मंत्रियों ने भाग लिया। हरियाणा के खेल एवं युवा कार्य विभाग के वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव आर.पी.चन्द्र ने कहा कि राज्य में खेल अभिरुचि और शारीरिक क्षमता कार्यक्रम- स्पैट योजना के अंतर्गत चुने गए 5000 खिलाडिय़ों को छात्रवृत्तियां देने के लिए दस करोड़ रुपए की राशि मंजूर की गई है। चन्द्र ने खेल विभाग की विभिन्न योजनाओं के बारे में भी विस्तार से बताया। खेल विभाग के निदेशक ओ.पी.सिंह ने स्पैट कार्यक्रम के बारे में प्रस्तुति दी। यह कार्यक्रम 8 से 19 वर्ष तक की आयु के बच्चों में खेल प्रतिभा की पहचान करने के लिए शुरू किया गया है। सम्मेलन में हरियाणा की खेल नीति की सराहना की गई और एक प्रस्ताव भी पास किया गया। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर स्कूलों में खेलों को अनिवार्य रूप से शैक्षिक पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। सभी स्कूलों में हर रोज एक पीरियड खेलों का होना चाहिए। अन्य विषयों की तरह खेलों में भाग लेने का मूल्यांकन किया जाना चाहिए और उसे पर्याप्त महत्व दिया जाना चाहिए। इससे खेल संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा और खेलों में व्यापकता आएगी।