अनुमान के मुताबिक इसका बीस फीसदी परीक्षा के आयोजन में खर्च हो जाएगा तो भी बोर्ड के खाते में 20 करोड़ रुपए बतौर शुद्ध मुनाफा आ जाएगा। यदि ब्लैक में बिके फार्म, रोडवेज के मुनाफे और परीक्षा प्रतियोगिता की तैयारियों को लेकर परीक्षार्थियों की तरफ से किया गया खर्च भी जोड़ दिया जाए तो यह रकम करीब 70 करोड़ तक चली जाएगी। जाहिर है यह रकम प्रदेश के बेरोजगार युवाओं और उनके अभिभावकों की जेब से ही जाएगी।
बोर्ड का अनुमान था कि एचटेट के लिए करीब दो लाख आवेदन आएंगे, लेकिन संख्या दोगुने से भी ज्यादा को पार कर गई। प्रदेश भर में कुल 4,64000 फार्म बिके। इनमें सामान्य व पिछड़े वर्ग के युवकों ने 600 रुपए व अनुसूचित जाति के युवाओं ने 300 रुपए खर्च कर फार्म खरीदे। अनुमान के मुताबिक इनमें से 20 फीसदी छात्र एससी वर्ग से थे।
इस तरह जनरल कैटेगरी के 3,71,200 आवेदकों ने 22,27,20,000 देकर ये फार्म खरीदे। एससी वर्ग के करीब 92 हजार आवेदकों ने फार्म खरीदने पर 2,76000 रुपए की राशि खर्च की। परीक्षा के संचालन पर बोर्ड इस कुल कमाई का करीब 20 फीसदी खर्च करेगा और 80 फीसदी उसके बैंक बैलेंस बढ़ाएगा।
कोचिंग संस्थान
परीक्षा को लेकर कोचिंग संस्थान सक्रिय हो चुके हैं। अगर 1 लाख आवेदकों ने कोचिंग ली तो प्रति छात्र 2500 रुपए के हिसाब से 25 करोड़ रुपए कोचिंग सेंटर वाले कमा जाएंगे।
और रिजल्ट केवल 9 प्रतिशत
एच टेट का परीक्षा परिणाम बेहद कम रहता है। पिछली बार केवल 9 प्रतिशत परीक्षार्थी ही पास हुए थे। मुश्किल पेपर व टाइट मार्किग की वजह से परीक्षा परिणाम बहुत कमजोर ही रहता है।
किस-किस को फायदा
पब्लिशरः कुल 4 लाख 59 हजार फार्म भरे गए। प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी की बाजार में पुस्तक कम से कम 200 रुपए में मिल रही है। ऐसे में अगर चार लाख ने भी ये किताबें खरीदी हैं तो 8 करोड़ रुपए पुस्तक छापने वालों की जेब में भी जा चुके हैं।
बुक डिपोः बुक स्टाल पर प्रत्येक फार्म पर करीब 200 रुपए की ब्लैक हुई। करीब 50 हजार फार्म ब्लैक में बिके, जिससे यह आंकड़ा एक करोड़ पर जाकर ठहरता है।
रोडवेजः परीक्षाएं 24-25 सितंबर को होंगी। इसके लिए प्रदेश में 650 सेंटर बनाए हैं। अंतर जिले में रोल नंबर होने से परीक्षार्थी को दूसरे जिले में बस से जाना होगा। एक परीक्षार्थी को यदि 100 रुपए भी देने पड़े तो रोडवेज को साढ़े चार करोड़ की कमाई होगी।