अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़ प्रदेश के लोकायुक्त ने पिछले दिनों जारी रिपोर्ट में न केवल राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों की मनमानी का खुलासा किया है, बल्कि सरकारी विभागों में बरती जा रही अनियमितता भी गिनाई है। राशन डिपो पर आने वाला गरीबों का अनाज खुलेआम ब्लैक में बिक रहा है। कोटा स्कीम के तहत आवंटित किए जाने वाले हुडा के प्लाटों में भी अनियमितता की बात सार्वजनिक की है। लोकायुक्त प्रीतमपाल सिंह की वर्ष 2010-11 की इस रिपोर्ट में शिक्षा, पुलिस, पंचायत, हुडा, रजिस्ट्रार और खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं। पिछले साल की लंबित 42 शिकायतों समेत इस अवधि में 320 शिकायतें लोकायुक्त के पास आई, जिसमें से 267 का निस्तारण किया गया है। सात शिकायतों में कार्रवाई हुई और छह के बारे में लोकायुक्त ने राज्य सरकार ने कार्रवाई का अनुरोध किया है। पांच केस में प्रशासनिक अधिकारियों ने लोकायुक्त द्वारा मांगी गई रिपोर्ट अथवा जवाबदेही को गंभीरता से नहीं लिया है। विश्वविद्यालयों व शिक्षा विभाग का मान्यता प्राप्त संस्थानों पर कोई नियंत्रण नहीं है। शैक्षणिक संस्थानों की मान्यता लेने में न केवल नियमों की अनदेखी की गई है। शिक्षा विभाग से मिलकर विश्वविद्यालयों को ऐसे संस्थानों की गंभीरता से जांच करनी चाहिए। प्रशासनिक अधिकारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए। उन्होंने अधीनस्थ कर्मचारियों को उत्पीडि़त करने के उद्देश्य से उच्च अधिकारियों द्वारा वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट खराब करने की प्रवृत्ति को भी उजागर किया है। पुलिस व प्रशासनिक विभागों में सच्चाई उजागर करने की बजाय तथ्यों के विपरीत जांच रिपोर्ट तैयार करने में अधिक रुचि ली जाती है। लोकायुक्त के अनुसार अनियमितता उजागर होने के बावजूद सरपंच, सचिव अथवा बीडीपीओ से राशि वसूलने के प्रयास नहीं हुए हैं। सोसायटी व फर्मो के पंजीकरण की प्रक्रिया पर भी लोकायुक्त ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने पुलिस को उत्पीड़न की कार्रवाई से परहेज रखने और झूठी रिपोर्ट तैयार नहीं करने की सलाह देते हुए हुडा को जमीन से अतिक्रमण हटाने का सुझाव दिया है।