लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शिक्षक बनने की उम्मीद लगाए करीब डेढ़ लाख बीएड और बीपीएड डिग्रीधारी पांच फीसदी अंक के चलते चूक गए। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) गठन से पूर्व बीएड करने वाले अधिकतर स्नातक डिग्रीधारी को शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) से अलग कर दिया गया है। टीईटी के लिए स्नातक में 50 फीसदी अंक अनिवार्य किया गया है, जबकि एनसीटीई गठन से पूर्व केवल 45 फीसदी अंक में स्नातक करने वालों को पात्र माना जाता था। बीएड, बीपीएड बेरोजगार संघर्ष मोर्चा इस संबंध में शीघ्र ही शासन के अधिकारियों से मुलाकात करेगा। इसके बाद भी यदि बात न बनी तो मोर्चा हाईकोर्ट का दरवाजा खट-खटाएगा।
बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए 80 हजार बीएड डिग्रीधारकों को विशिष्ट बीटीसी का प्रशिक्षण देकर सहायक अध्यापक बनाया जाना है। केंद्र के निर्देश पर राज्य में टीईटी पास करने वाले ही इसके लिए पात्र माने जाएंगे। सचिव बेसिक शिक्षा अनिल संत ने शासनादेश जारी कर टीईटी के लिए स्नातक में 50 फीसदी अंक होना अनिवार्य कर दिया है। इसी तरह बीपीएड डिग्रीधारकों को टीईटी के लिए पात्र नहीं माना गया है। इसमें शामिल नहीं किया गया है।
बीएड, बीपीएड बेरोजगार संघर्ष मोर्चा के उपाध्यक्ष संतोष मिश्र कहते हैं कि देश में एनसीटीई का गठन 1996 में हुआ है। एनसीटीई गठन से पूर्व स्नातक में 45 फीसदी अंक करने वाले बीएड के लिए पात्र माने जाते थे। एनसीटीई गठन के बाद स्नातक में 50 फीसदी अंक अनिवार्य कर दिया गया। एनसीटीई ने इसके आधार पर टीईटी के लिए 50 फीसदी अंक अनिवार्य किया है। इसके चलते करीब डेढ़ लाख बीएड डिग्रीधारी टीईटी में शामिल होने से वंचित हो रहे हैं। इसलिए राज्य सरकार को 45 फीसदी अंक वालों को भी टीईटी में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भेजना चाहिए। उन्होंने कहा है कि इस संबंध में शीघ्र ही शासन के अधिकारियों से मुलाकात की जाएगी। इसके बाद भी यदि बात न बनी तो हाईकोर्ट का दरवाजा खट-खटाया जाएगा।