36 आरोही मॉडल स्कूलों में अनुबंध आधार पर 678 पदों के आवेदन पर गुड एकेडमिक रिकॉर्ड की शर्त लागू करने से राज्य सरकार की भर्ती नीति एक बार फिर से मजाक का विषय बन गई है,पात्र अध्यापक संघ ने उठाया शर्त के औचित्य पर सवाल
अध्यापक संघ का सवाल: भर्ती के दो पैमाने क्यों?
पात्र
अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने कहा कि पीजीटी शिक्षकों
की भर्ती पर जब इस शर्त को हटा दिया है तो दोबारा से लागू करने का कोई
औचित्य नहीं बनता है। एक भर्ती के दो पैमाने क्यों बनाए जा रहे हैं? यह
बिल्कुल गलत है और इसका पहले की तरह ही कड़ा विरोध किया जाएगा। इसके अलावा
मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से भी इस बारे में बात की जाएगी।
हरियाणा
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा राज्य के शैक्षणिक रूप से पिछड़े खंडों में
स्थापित 36 आरोही मॉडल स्कूलों में अनुबंध आधार पर 678 पदों के आवेदन पर
गुड एकेडमिक रिकॉर्ड की शर्त लागू करने से राज्य सरकार की भर्ती नीति एक
बार फिर से मजाक का विषय बन गई है। इन पदों के लिए शैक्षणिक योग्यता में
एमफिल और नेट को भी शामिल किया गया है। इतनी उच्च योग्यता रखने के बावजूद
गुड एकेडमिक रिकॉर्ड की शर्त का क्या औचित्य बनता है, यह प्रदेश के सैकड़ों डिग्रीधारक आवेदकों की समझ से बाहर है।
ये
हैं शर्त के मायने : इस शर्त का अर्थ है कि न्यूनतम योग्यता जो कि दसवीं,
बारहवीं या स्नातक है। इस स्थिति में न्यूनतम योग्यता के लिए पहली दो
परीक्षाओं में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करने अनिवार्य हैं। वहीं,
तीसरी परीक्षा में 55 प्रतिशत अंक हों। यही नहीं, स्नातकोत्तर परीक्षा में
55 प्रतिशत अंक के साथ बीएड और एमफिल डिग्री में से किसी एक का होना
अनिवार्य है। इनमें बीएड या एमफिल में 55 प्रतिशत अंक हों। साथ ही नेट,
एचटेट या एसटेट में से एक योग्यता होनी चाहिए। इन सबके साथ प्राचार्य पद के
उम्मीदवार के पास 8 वर्ष का शिक्षक अनुभव और दो साल का प्राचार्य, उप
प्राचार्य या हेड मास्टर का अनुभव हो। वहीं, उच्च योग्यता होने के कारण
पीएचडी डिग्रीधारक भी आवेदन करेंगे, जिन पर शिक्षा विभाग के नियमों के
अनुसार गुड एकेडमिक रिकॉर्ड की शर्त लागू नहीं होती है।
गौरतलब है कि
स्कूल शिक्षा विभाग ने जून माह के पहले सप्ताह में 14,216 लेक्चरर पदों की
भर्ती पर गुड एकेडमिक रिकॉर्ड की शर्त लगाई थी। इस शर्त को लेकर प्रदेश भर
के शिक्षक संघों ने न केवल धरने दिए, बल्कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में
इस शर्त को चुनौती देती याचिका भी दायर की। बाद में, प्रदेश शिक्षा मंत्री
ने गलती मानते हुए इस शर्त को वापस ले लिया था।
अब वही शर्त विभाग ने
प्रदेश में आरोही स्कूलों के लिए निकाले पदों पर दोबारा से लागू कर दी है।
इस कारण यह भॢतयां फिर से बवाल का विषय बन गई हैं।
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