चंडीगढ़, जागरण संवाददाता : हरियाणा सरकार ने पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट को बताया कि नियमित शिक्षकों की भर्ती तक सरकार सभी अतिथि अध्यापकों को जारी रखना चाहती है। शिक्षा विभाग की प्रधान सचिव सुरीना राजन ने बृहस्पतिवार को हाईकोर्ट में स्वयं पेश होकर हलफनामा दाखिल किया। प्रधान सचिव ने कोर्ट को बताया कि सरकार उन सभी अतिथि अध्यापकों को हटाने जा रही है, जो अयोग्य हैं। अंबाला निवासी एक व्यक्तिकी याचिका पर हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग की सचिव को तलब किया था। याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि सरकार गेस्ट टीचरों को हटाकर उनके स्थान पर स्थाई शिक्षक नियुक्त करे। मामले में पिछली सुनवाई पर स्कूली शिक्षा विभाग के निदेशक विजेंद्र सिंह कोर्ट में पेश हुए थे लेकिन कोर्ट ने विजेंद्र सिंह से कुछ सवाल पूछे, लेकिन वह कोर्ट को संतुष्ट नहीं कर पाए। इस पर कोर्ट ने सिंह को फटकार लगाई थी। कोर्ट में सही जवाब न देने व सरकार के पास इस विषय पर नीति के अभाव मामले में हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के सचिव को तलब किया था। इस पर बृहस्पतिवार को हरियाणा स्कूली शिक्षा विभाग की प्रधान सचिव सुरीना राजन हाईकोर्ट में पेश हुई। वकीलों की हड़ताल के कारण राजन ने कोर्ट की खंडपीठ के सामने स्वयं पेश होकर विभाग का पक्ष रखा। राजन ने कोर्ट को बताया कि नियमित शिक्षकों की भर्ती तक सरकार सभी गेस्ट टीचर को जारी रखना चाहती है। राजन ने कोर्ट में दिए गए हलफनामे में बताया कि सरकार उन सभी अयोग्य अतिथि अध्यापकों को हटाने जा रही है। राजन ने कोर्ट को बताया कि वह उन सभी बीएड या उच्च शिक्षा प्राप्त शिक्षकों को जेबीटी अध्यापकों के पद पर तब तक रखेगी जब तक नियमित भर्ती नहीं होगी। वकीलों की हड़ताल के चलते कोर्ट ने इस मामले में कोई आदेश जारी न करते हुए मामले को 29 मार्च के लिए टाल दिया। अंबाला निवासी व्यक्ति ने याचिका में कहा था कि हरियाणा सरकार ने 2005 में स्कूलों में अध्यापकों की कमी के चलते अस्थायी तौर पर लगभग 20 हजार अतिथि अध्यापकों की नियुक्ति की थी। शुरुआत में पीरियड के हिसाब से भुगतान करने की नीति थी, लेकिन बाद में फिक्स वेतन व भर्ती को एक साल के लिए ठेका आधारित करने का फैसला किया। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि सरकार तय समय खत्म होने के बाद भी इन अध्यापकों को हटा नहीं रही है। याचिकाकर्ता के अनुसार लगभग 70 प्रतिशत अतिथि अध्यापकों ने राज्य अध्यापक पात्रता परीक्षा पास नहीं की है।