Thursday, 17 March 2011

रिपोर्ट दे सरकार

दयानंद शर्मा, चंडीगढ़ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार से पूछा है कि राज्य में कितने अतिथि अध्यापक कार्यरत हैं और सरकार उनके बदले नियुक्ति के लिए क्या कदम उठा रही है। हाईकोर्ट ने यह जानकारी इस मामले में अगली सुनवाई को देने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने यह आदेश अंबाला निवासी एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई के दौरान दी। याचिका में मांग की गई थी कि सरकार अतिथि अध्यापकों को हटाकर उनके स्थान पर स्थायी शिक्षक नियुक्त करे। याचिका में कहा गया है कि हरियाणा सरकार ने 2005 में स्कूलों में अध्यापकों की कमी के कारण अस्थायी तौर पर लगभग 20 हजार अतिथि अध्यापकों की नियुक्ति की थी। सरकार ने यह नियुक्ति शुरूआत तौर पर पीरियड के हिसाब से भुगतान के आधार पर की थी। लेकिन बाद में अतिथि अध्यापक संघ की ओर से प्रदेश में किए गए आंदोलनों के मद्देनजर सरकार ने उनके लिए तय वेतन व भर्ती को एक साल के लिए ठेका आधारित करने का फैसला किया। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि सरकार तय समय खत्म होने के बाद भी इन अध्यापकों को हटा नहीं रही है। लगभग 70 फीसदी अतिथि अध्यापकों ने राज्य अध्यापक पात्रता परीक्षा पास नहीं की हुई है। याचिका पर पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव से पूछा था कि वह इस बाबत जानकारी दें कि इन अतिथि अध्यापकों के 31 मार्च को कार्यकाल खत्म होने के बाद उनको आगे रखा जाएगा या नहीं। बुधवार को सुनवाई के दौरान इस बारे में हरियाणा सरकार की तरफ से कोर्ट में जो जवाब दिया गया कोर्ट ने उसे नामंजूर करते हुए शिक्षा विभाग को आदेश दिया कि वह मामले की अगली सुनवाई तक कोर्ट में इस बाबत जानकारी दे कि राज्य में कुल कितने अतिथि अध्यापक काम कर रहे हैं और सरकार उनका कार्यकाल खत्म होने के बाद क्या उनको आगे जारी रखेगी। कोर्ट ने सरकार से कहा कि इन गेस्ट टीचरों के नियुक्ति के बाद उनके स्थान पर नियमित भर्ती करने के लिए क्या प्रकिया शुरू की है। इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील जगबीर मलिक की दलील के बाद कोर्ट ने हरियाणा सरकार को कोर्ट में यह भी जानकारी देने को कहा कि नियुक्त अतिथि अध्यापकों में कितने नियमित शिक्षक के लिए योग्य हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर मामले की अगली सुनवाई पर पूरी जानकारी नहीं दी गई कोर्ट इस मामले में शिक्षा सचिव को तलब कर सकता है।
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