Sunday 15 April 2012

टीईटी पास बेरोजगार काबू, रिहा,आज निकालेंगे टीईटी प्रमाण पत्रों की शव यात्रा

अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। हरियाणा में टीईटी पास बेरोजगारों के आंदोलन को देखते हुए पुलिस ने शनिवार को हिसार में करीब ढाई दर्जन युवाओं को हिरासत में ले लिया, जिन्हें देर शाम रिहा भी कर दिया गया। टीईटी पास युवाओं ने घोषणा की है कि वे 15 अप्रैल को मंडल स्तर पर टीईटी प्रमाण पत्रों की शव यात्रा निकालेंगे और एक मई को सामूहिक आत्महत्या करेंगे।
पात्र अध्यापक संघ के राज्य प्रधान राजेंद्र शर्मा ने अमर उजाला को बताया कि शनिवार को हिसार में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कार्यक्रम था। पुलिस ने युवाओं को इस आधार पर हिरासत में ले लिया कि कहीं पात्र अध्यापक सीएम को काले झंडे न दिखा दें। इस चक्कर में पुलिस ने शनिवार को हिसार के एक पार्क से पात्र अध्यापक संघ की महिला विंग की अध्यक्ष अर्चना सुहासिनी और ढाई दर्जन युवाओं को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें थाने ले जाया गया जबकि राजेंद्र शर्मा और अन्य को बवानीखेड़ा थाने ले जाया गया। शर्मा ने कहा कि गिरफ्तार अध्यापकों पर शांति भंग करने का मामला दर्ज किया गया है और उन्हें देर शाम रिहा कर दिया गया।
राजेंद्र शर्मा ने कहा कि हुड्डा सरकार संविधान के समानता के अधिकार की धारा 14 और 16 का उल्लंघन कर रही है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने नियमित भर्ती में पात्रता परीक्षा में छूट के फैसले को असंवैधानिक ठहरा दिया है, इसके बावजूद गेस्ट टीचरों को बैकडोर एंट्री देने के लिए टीचर भरती नियमों में ही बदलाव किया गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने जानबूझ कर कैबिनेट की बैठक नहीं बुलाई, बल्कि सभी मंत्रियों से अलग-अलग हस्ताक्षर करा लिए गए।
इस फैसले से सूबे के सवा लाख पात्र अध्यापकों में नाराजगी है। आक्रोश को बाहर निकालने के लिए रोहतक, गुड़गांव, अंबाला और हिसार में 15 अप्रैल को टीईटी प्रमाण पत्रों की शव यात्रा निकाली जाएगी और मुख्यमंत्री के पुतले जलाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि वे एक मई को रोहतक में चौधरी रणवीर सिंह हुड्डा समाधि स्थल के सामने सामूहिक आत्मदाह करेंगे।
परिवार सहित आत्महत्या करने की धमकी
रोहतक(ब्‍यूरो)। पात्रता अध्यापकों ने प्रदेश सरकार को तीस अप्रैल तक का अल्टीमेटम देकर चार साल के शैक्षणिक अनुभव के फैसले को वापस की मांग की है। चेतावनी देते हुए सरकार का कहना है कि फैसला वापस नहीं लिया तो एक मई को चौ. रणबीर सिंह की समाधि स्थल पर धरना देकर आगामी रणनीति तय की जाएगी। पात्रता अध्यापकों का कहना है कि वे परिवार सहित आत्महत्या करने को भी तैयार हैं।
छोटूराम धर्मशाला में पात्रता अध्यापकों की बैठक में यह निर्णय लिया गया। संघ के प्रदेश प्रवक्ता प्रेम सिंह अहलावत ने कहा कि हरियाणा सरकार नियमित भर्ती में सिर्फ चार साल के शैक्षणिक अनुभव के आधार पर सभी को शामिल कर एक लाख पात्रता अध्यापकों के साथ धोखा कर रही है। सरकार को समय गवाए बिना अपना फैसला वापस ले लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पात्रता अध्यापक कई साल से संघर्ष कर रहे हैं, सरकार ने भी उनसे वायदा किया था कि नियमित भर्ती की जाएगी। अब सरकार ने गेस्ट टीचरों का कार्यकाल बढ़ाकर सरकार यह सिद्ध कर दिया है कि नियमित भर्ती करने की बजाए गेस्ट टीचरों को ही रखने के मूड में है। बैठक में निर्णय लिया गया कि रविवार को रोहतक मंडल के चारों जिलों में प्रदर्शन किया जाएगा। साथ ही पात्रता अध्यापक अपने प्रमाण पत्रों की शव यात्रा निकालेंगे। इस बारे में मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा।
टीचर भरती नियम बदलने से खफा हैं बेरोजगार
चंडीगढ़ में टीईटी पास बेरोजगार काे ले जाते पुलिसकर्मी।
सरकार के खिलाफ नारनौल में नारेेबाजी
नारनौल(ब्यूरो)। पात्र अध्यापक संघ जिला कार्यकारिणी ने नियमित शिक्षक भर्ती में चार साल का अनुभव रखने वाले अध्यापकों को शामिल करने के सरकार के निर्णय के विरोध में शनिवार को जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन कर रोष जताया। इस मौके पर प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर तुरंत प्रभाव से इसको वापस लेने की मांग की। उपस्थित पात्र अध्यापकों ने सरकार के इस निर्णय के विरोध में 15 अप्रैल को गुड़गांव में होने वाले प्रदर्शन में बढ़ चढ़कर भाग लेने का निर्णय लिया।
स्थानीय चितवन वाटिका में संघ के प्रदेश महासचिव सुनील यादव ने कहा कि राज्य सरकार ने हाल ही में नियमित शिक्षक भर्ती में चार साल का अनुभव रखने वाले शिक्षकों को शामिल करने का तुगलकी फरमान जारी कर पात्र अध्यापकों के साथ मजाक किया है। सरकार को ऐसा ही करना था तो प्रदेश के बेरोजगार शिक्षकों के साथ पात्रता के नाम पर आवेदन शुल्क के तौर फीस वसूली क्यों की गई। उन्होंने कहा कि सरकार के इस निर्णय के विरोध में प्रदेश के एक लाख पात्र अध्यापकों और उनके अभिभावकों में भारी रोष है। सरकार ने अपने इस निर्णय को वापस नहीं लिया को सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। सरकार का यह निर्णय पात्र अध्यापकों के हितों पर कुठाराघात है।
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