Wednesday, 2 November 2011

युवाओं में नहीं गुरुजी बनने की तमन्ना

सतीश चौहान, कुरुक्षेत्र शायद प्रदेश का पढ़ा-लिखा युवा अब अध्यापक बनने की तमन्ना नहीं रखता। राज्य में बीएड कॉलेजों में कुल 60 हजार सीटों में से 35 हजार सीटों के खाली रहने से तो यही अनुमान लगाया जा सकता है। इस बार बीएड कॉलेजों की सीटें भरना मुश्किल हो गया है। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक की ओर से तीसरी और अंतिम काउंसिलिंग के बाद भी इन कॉलेजों की आधी से भी ज्यादा सीटें खाली हैं। जबकि तीसरी काउंसिलिंग के बाद 29 अक्टूबर को शाम पांच बजे तक विद्यार्थियों को कॉलेज में रिपोर्ट करना था। कॉलेजों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर दोबारा फार्म लेने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है। पिछले साल मोटी कमाई करने वाले बीएड कॉलेजों के कमरे इस बार खाली ही रहने की संभावना बनी हुई है। पिछली बार प्रदेश के 195 कॉलेजों की सीटें भर गई थी। विश्वविद्यालय कॉलेजों की सीटों को भरने के लिए तीन बार काउंसिलिंग के अलावा दूसरी बार आवेदन भी मांग चुका है। अब कॉलेजों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर दोबारा फार्म लेकर काउंसिलिंग कराने को लेकर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। हरियाणा सेल्फ फाइनेंसिंग कॉलेज ऑफ एजुकेशन एसोसिएशन के उपप्रधान रोशनलाल गुप्ता का कहना है कि एसोसिएशन ने काउंसिलिंग कमेटी से बात की है जल्द ही इस पर आगे का निर्णय लिया जाएगा। 85 हजार ने किया आवेदन : प्रदेश में इस बार बीएड कॉलेजों में 60 हजार सीटों के लिए लगभग 85 हजार विद्यार्थियों ने आवेदन किया था। अभी तक केवल 25 हजार विद्यार्थियों ने ही दाखिला लिया है। पिछली बार बीएड कॉलेजों द्वारा मोटा जुर्माना लेने के आरोप लगे थे। कई कॉलेजों के छात्रों ने कुवि प्रशासन से इसकी शिकायत भी की थी।
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