Thursday, 17 November 2011

जिंदगी से खेल रहे 15 हजार यमदूत

संजीव गुप्ता, झज्जर झोला छाप डॉक्टरों का शिकंजा कसता ही जा रहा है। प्रदेशभर में 15 हजार से अधिक झोलाछाप डॉक्टर रूपी यमदूत भोले-भाले लोगों की जिंदगी से खेल रहे हैं। कुछ समय पूर्व स्वास्थ्यमंत्री राव नरेंद्र सिंह ने दावा किया था कि जल्द ही झोला छाप डॉक्टरों के खिलाफ अभियान छेड़ा जाएगा लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। विदित रहे कि प्रदेश में 6,700 गांव हैं। स्वास्थ्य विभाग खुद स्वीकार करता है कि हर गांव में दो से तीन झोलाछाप डॉक्टर प्रेक्टिस कर रहे हैं। इनमें से अधिकतर कंपाउंडरी किए हुए हैं तो कुछ ने आरएमपी की फर्जी डिग्री ले रखी है। चूंकि इन तथाकथित डॉक्टरों की फीस अपेक्षाकृत कम होती है अत: सीधे-सादे लोग लालच में इनके पास चले जाते हैं। यह डॉक्टर स्टेरॉयड देकर अपना काम चलाते रहते हैं जिससे किसी को शक भी नहीं होता। इनके इसी खेल में कई लोग जान से हाथ धो चुके हैं। विडंबना है इस हकीकत से स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी ही नहीं, सरकार तक वाकिफ है। लेकिन कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जाती। एनआरएचएम अर्थात राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के निदेशक डॉ. राकेश गुप्ता इस दिशा में ठोस प्रयास कर भी रहे थे लेकिन पखवाड़े भर पूर्व ही उनका स्थानांतरण कर दिया गया।
;