नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो : संप्रग-दो सरकार के लिए जी का जंजाल बन गए सूचना के अधिकार कानून कांग्रेस के लिए न उगलते बन रहा और न ही निगलते। आरटीआइ से बाहर आई चिट्ठी के बाद जिस तरह से सलमान खुर्शीद व वीरप्पा मोइली ने इस कानून में संशोधन की वकालत शुरू की है, कांग्रेस उसका खुलकर समर्थन नहीं कर पा रही है। सबसे बड़ी उपलब्धि बताती रही कांग्रेस आरटीआइ कानून में संशोधन की पैरवी आखिर करे भी तो कैसे? बहरहाल उसने आरटीआइ कानून में संशोधन पर व्यापक बहस का समर्थन कर पार्टी के भीतर बेचैनी के संकेत तो दे ही दिए हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय से आरटीआइ के तहत बाहर आई चिट्ठी ने जिस तरह से दो शीर्ष मंत्रियों प्रणब मुखर्जी और पी चिदंबरम को आमने-सामने खड़ा कर दिया, उसके बाद केंद्र सरकार के मंत्री इस कानून में संशोधन पर मुखर होने लगे हैं। सरकार बहुत पहले से इस बात की जरूरत महसूस करती रही है कि सूचना के अधिकार कानून से मंत्रियों और सचिव स्तर की नोटिंग को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए।