मुंबई, एजेंसी : केंद्र सरकार ने राष्ट्रगान में सिंध और सिंधु शब्द को लेकर उठे विवाद पर विराम लगाते हुए दोनों शब्दों के उपयोग को सही बताता है। सरकार ने बंबई हाईकोर्ट में दायर हलफनामे में कहा है कि राष्ट्रगान के दोनों संस्करण सही हैं। केंद्र का यह तर्क भी है कि यह जरूरी नहीं कि जब-जब देश में क्षेत्रीय परिवर्तन हो तब-तब राष्ट्रगान में संशोधन किया जाए। अदालत ने इससे पहले सही स्थिति नहीं बताने पर केंद्र की खिंचाई की थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से यह हलफनामा सेवानिवृत्त प्रोफेसर श्रीकांत मलुश्ते की जनहित याचिका पर दिया है जिसमें राष्ट्रगान में सिंध शब्द के उपयोग को चुनौती दी गई है। हलफनामे में कहा गया है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा 1951 में प्रकाशित राष्ट्रगीत में सिंधु शब्द का उपयोग किया गया है। 1953 में गृहमंत्रालय के दिशा निर्देशों के बाद से राष्ट्रगीत के गाने और प्रसारण में सिंध शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है। गाने के लिए सिंधु और लिखने में सिंध शब्द का एक ही अर्थ है। दोनों शब्द नदी या सिंधी समुदाय दोनों के रूप में प्रयोग हो सकते हैं। सरकार ने कहा, सिंध शब्द हटाना मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के खिलाफ होगा। याचिका में दावा किया गया था कि 1917 में जब राष्ट्रगान की रचना की गई थी उस समय सिंध भारत का हिस्सा था लेकिन अब यह भारत का हिस्सा नहीं है और इस वजह से इसके स्थान पर सिंधु शब्द शामिल किया गया।