चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो : प्रदेश में स्कूली शिक्षा ग्रहण करने के बाद बच्चों को अब रोजगार की चिंता नहीं रहेगी। सरकार जल्द ही स्कूलों में 9वीं से 12वीं कक्षा तक ऐसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की शुरुआत करने जा रही है, जो रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में मददगार साबित होंगे। शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने बृहस्पतिवार को यहां हरियाणा स्कूल शिक्षा विभाग तथा राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के सहयोग से राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा योग्यता रूपरेखा (एनवीईक्यूएफ) परियोजना को लागू करने के लिए आयोजित बैठक में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि स्कूलों में व्यावसायिक पाठ्यक्रम शुरू करने की परियोजना पर राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की नई दिल्ली में आयोजित बैठक में निर्णय लिया गया था। पायलट परियोजना के लिए हरियाणा का चयन किया है। यहां पर परियोजना की सफलता के बाद इसे देशभर में लागू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा क्रमश: 75 एवं 25 के अनुपात में वित्त पोषित इस परियोजना के लिए राज्य सरकार ने केंद्र से 110 करोड़ रुपये की मांग की है। परियोजना के प्रारंभिक चरण में राज्य के 160 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में स्थानीय आवश्यकताओं, प्रायोगिक सुविधाओं तथा प्रशिक्षित संकाय की उपलब्धता के आधार पर वैकल्पिक पाठ्यक्रम के रूप में शुरू करने की योजना बनाई जा रही है। साधारण रूप में इस पाठ्यक्रम का प्रथम स्तर 9वीं कक्षा में प्रारंभ होगा तथा कक्षा-12 उत्तीर्ण करने पर चौथा स्तर पूरा होगा। 11वीं कक्षा में पाठ्यक्रम शुरू करने वाले विद्यार्थी को चारों स्तर दो वर्षो में पूरे करने होंगे। इसी के आधार पर प्रमाण-पत्र दिया जाएगा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री ने यह परियोजना बच्चों की ड्रॉप आउट प्रवृत्ति को कम करने और स्कूली शिक्षा के बाद बच्चों के लिए रोजगार के अवसरों को सुनिश्चित बनाने के लिए तैयार की है। शिक्षा मंत्री ने बताया कि स्कूलों में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को जिला स्तर पर व्यावसायिक मांग के आधार पर शुरू किया जाएगा। बैठक में वित्त विभाग के वित्तायुक्त अजीत मोहन शरण, शिक्षा विभाग की वित्तायुक्त सुरीना राजन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के वित्तायुक्त रोशन लाल, औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग के वित्तायुक्त वीएस कुंडू, शिक्षा विभाग के महानिदेशक विजयेंद्र कुमार प्रमुख रूप से मौजूद थे।