Thursday 7 July 2011

शिक्षा के अधिकार को पंख

राकेश कुमार शर्मा, हिसार शिक्षा के अधिकार को पंख लगने लगे हैं। भट्ठा मजदूरों के बच्चों को शिक्षा अधिनियम के तहत एक किलोमीटर के भीतर स्कूल में पढ़ाई करने की सुविधा मिलेगी। एक किलोमीटर के दायरे में यदि सरकारी स्कूल है तो ठीक वरना पड़ोस के निजी स्कूलों को भट्ठा मजदूरों को शिक्षित करना होगा। इस दौरान निजी स्कूल बच्चों से सरकारी स्कूल वाली ही फीस लेंगे साथ ही उन्हें अन्य सुविधाएं भी उन्हें देना अनिवार्य होगा। इससे भट्ठों के लाल रंग में अपनी जिंदगी को रंगने वाले भट्ठा स्कूल के बच्चों की जिंदगी में जल्द शिक्षा की नियमित लौ रोशन होगी। शिक्षा के अधिकार के तहत प्रदेश के सभी भट्ठा स्कूलों को नए सत्र से बंद कर इनमें पढ़ने वाले बच्चों को नियमित स्कूल के दायरे में लाया जाएगा। भट्ठा स्कूलों में पढ़ने वाले इन बच्चों को अब तक मौसमी स्कूल की शिक्षा ही नसीब थी, लेकिन पिछले दिनों जिलों में एबीआरसी की ट्रेनिंग कैंप के दौरान बच्चों को किस प्रकार से नियमित स्कूलों से जोड़ा जाए का खाका तैयार किया गया है। साथ ही एबीआरसी को इस की ट्रेनिंग की गई कि शिक्षा के अधिकार के तहत बच्चों को कैसे शिक्षा का मौलिक अधिकार प्रदान किया जाए। इस बारे में जिला परियोजना अधिकारी उषा माटा ने बताया कि अब तक जिले के आठ खंड में 91 भट्ठा स्कूल चलते थे जिसमें 3188 बच्चे पढ़ते थे। उन्होंने कहा कि शिक्षा के अधिकार के तहत अब इन बच्चों को नियमित स्कूल से जोड़ा जाएगा, इसके लिए नजदीकी स्कूल प्रमुख व एबीआरसी बच्चों को स्कूल तक जोड़ने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि भट्ठा स्कूल मौसमी होते थे इसमें बच्चे केवल तभी पढ़ते थे जब उनके अभिभावक भट्ठों पर काम करने आते थे, ऐसे में इन बच्चों को नियमित स्कूल से जोड़ने में समस्या आ रही थी। लेकिन शिक्षा के अधिकार के तहत जैसे ही बच्चे स्कूल को छोड़ कर कहीं और जाते हैं तो वर्तमान स्कूल द्वारा बच्चे को प्रमाण पत्र दिया जाएगा जिसमें उसी शिक्षा सहित सभी जानकारी दी होगी। बच्चा जैसे ही दूसरे क्षेत्र के किसी भी स्कूल में जाएगा उसके प्रमाण पत्र के आधार पर उसे तुरंत उचित कक्षा में दाखिला दे दिया जाएगा। जिला शिक्षा अधिकारी मित्रसेन मल्होत्रा ने बताया कि शिक्षा अधिकार के तहत 6-14 वर्ष तक के बच्चों को एक किलोमीटर के दायरे में स्कूल की सुविधा प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि एक किलोमीटर के दायरे में कोई सरकारी स्कूल नहीं होगा तो आरटीई के तहत पड़ोस के निजी स्कूल में 25 फीसदी सीटें आरक्षित कर उसे सरकारी स्कूल की भांति शिक्षा व सुविधाएं दी जाएंगीं।
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