नई दिल्ली, एजेंसी : छह से 14 वर्ष के बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) को लागू हुए एक साल से ज्यादा वक्त बीत चुका है मगर कई कांग्रेस शासित राज्यों में ही अब तक यह कानून का रूप नहीं ले सका है। 18 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने ही इस कानून को अधिसूचित किया है जबकि दिल्ली, महाराष्ट्र, केरल, गोवा और असम जैसे कांग्रेस शासित राज्यों में इस पर अभी भी कानून नहीं बनाया जा सका है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अनुसार, आंध्रप्रदेश, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह, बिहार, चंडीगढ़, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, दादरा नगर हवेली, दमन दीव, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, लक्षद्वीप, मध्यप्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, उड़ीसा, राजस्थान, सिक्किम ने आरटीई कानून को अधिसूचित कर दिया है। दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मेघालय, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब, कर्नाटक ने अपने विधि विभाग को इस कानून का मसौदा विचार के लिए भेजा है। गुजरात, असम, केरल, मेघालय, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा ने इस कानून को मंजूरी के लिए कैबिनेट के समक्ष भेजने की बात कही है। निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून के तहत ही प्रदेशों में राज्य बाल अधिकार संरक्षण परिषद (एससीपीसीआर) गठित करने का प्रावधान किया गया है। हालांकि अब तक केवल 14 राज्यों में ही राज्य बाल अधिकार संरक्षण परिषद का गठन किया गया है। असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गोवा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम और उत्तराखंड ने एससीपीसीआर का गठन किया है। ताजा जनगणना के अनुसार पिछले 10 वर्ष में महिला साक्षरता दर 11.8 फीसदी और पुरुष साक्षरता दर 6.9 फीसदी की दर से बढ़ी है, हालांकि महत्वाकांक्षी सर्व शिक्षा अभियान के आंकड़ों पर गौर करें तो आरटीई लागू होने के एक वर्ष गुजरने के बाद देश में अभी भी 81 लाख 50 हजार 61च् बच्चे स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर है, 41 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं है और 49 प्रतिशत स्कूलों में खेल का मैदान नहीं है। प्राथमिक स्कूलों में दाखिल छात्रों की संख्या 13,34,05,581 है जबच् िउच्च प्राथमिक स्कूलों में नामांकन प्राप्त 5,44,67,415 है। साल 2020 तक सकल नामांकन दर को वर्तमान 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है लेकिन सर्व शिक्षा अभियान के 2009-10 के आंकड़ों के अनुसार, बड़ी संख्या में छात्रों को स्कूली शिक्षा के दायरे में लाने के लक्ष्य के बीच देश में अभी कुल 44,77,429 शिक्षक ही हैं। सर्व शिक्षा अभियान के आंकड़ों के अनुसार, शैक्षणिक वर्ष 2009-10 में प्राथमिक स्तर पर बालिका नामांकन दर 48.46 प्रतिशत और उच्च प्राथमिक स्तर पर बालिका नामांकन दर 48.12 प्रतिशत है। अनुसूचित जाति वर्ग के बच्चों की नामांकन दर 19.81 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति वर्ग च्े बच्चों की नामांकन दर महज 10.93 प्रतिशत दर्ज की गई है। देश में फिलहाल छात्र शिक्षक अनुपात 32:। है। वैसे 324 ऐसे जिले भी हैं जिनमें निर्धारित मानक के अनुरूप छात्र शिक्षक अनुपात 30:। से कम है। देश में 21 प्रतिशत ऐसे शिक्षक हैं जिनके पास पेशेवर डिग्री तक नहीं है।