पटना, जागरण ब्यूरो : प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के आवेदन पत्र के लिए अब बैंक ड्राफ्ट देना जरूरी नहीं है। फार्म मिलने वाले काउंटर पर अनुसूचित जाति-जनजाति के उम्मीदवार 50 रुपये नगद तथा सामान्य व अन्य जाति के आवेदक 100 रुपये नगद देकर आवेदन पत्र प्राप्त कर सकते हैं। राज्य के विभिन्न इलाकों से फार्म न मिलने तथा बैंक ड्राफ्ट मिलने में विलंब से कई स्थानों पर तोड़फोड़ की सूचना के आलोक में सरकार ने यह फैसला किया है। मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह ने शुक्रवार को जनता दरबार के बाद बताया कि प्रशिक्षित अभ्यर्थियों की मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने के बाद परीक्षा में शामिल होने के लिए उम्र सीमा में विज्ञापन में पांच वर्ष के स्थान पर 10 वर्ष की छूट दी गई है। अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए अधिकतम 52 वर्ष तथा महिलाओं व अन्य पिछड़ी जातियों के लिए अधिकतम उम्र 50 वर्ष रखा गया है। बैंक ड्राफ्ट बनने में स्टेट बैंक द्वारा विलंब होने से उम्मीदवारों की परेशानी को देखते हुए नगद पैसा लेकर फार्म देने की व्यवस्था की गई है। समस्तीपुर, कटिहार, छपरा, बेगूसराय, गया आदि स्थानों में बैंक ड्राफ्ट न बनने से काफी तनाव व्याप्त होने की सूचना मिली है। उन्होंने बताया कि परीक्षा के लिए दस लाख फार्म छापे गये थे मगर जिलों से फार्म घट जाने की शिकायतें मिली हैं। लिहाजा अतिरिक्त फार्म की व्यवस्था की जा रही है। मंगलवार से पर्याप्त संख्या में फार्म उपलब्ध हो जायेंगे। अभ्यर्थियों को परेशानी न हो इसलिए फार्मो के वितरण के लिए पर्याप्त संख्या में काउंटर बनाने के निर्देश दिये गये हैं। इसके पूर्व प्रधान सचिव के जनता दरबार में अनेक शिकायतें आयीं जो मगध विश्वविद्यालय में अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति से संबंधित थी। प्रधान सचिव श्री सिंह ने तत्काल इस रोक को हटाते हुए विभागीय सचिव को हिदायत दी कि वे मगध विश्वविद्यालय को नियमानुसार नियुक्ति के लिए आवश्यक निर्देश जारी कर दें। इससे 60-70 आश्रित लाभान्वित होंगे। अनेक फरियादी 34,540 प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति में गड़बड़ी की शिकायत लेकर आये थे। प्रधान सचिव ने उन्हें अपनी आपत्ति सरकार के वकील गोपाल सिंह को रजिस्टर्ड पोस्ट से भेजने को कहा ताकि रांची में हो रही सुनवाई में उन्हें शामिल किया जा सके। दरबार में कुल 37 शिकायतें आयीं, जिनमें कुछ दूसरे चरण के शिक्षक नियोजन में अपीलीय प्राधिकार के आदेशों को लागू न किये जाने से संबंधित थीं।