राजकेश्वर सिंह, नई दिल्ली छह से चौदह साल तक के बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य पढ़ाई का कानूनी इंतजाम करने के बाद अब उसके आगे की राह भी आसान करने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। केंद्र सरकार अब माध्यमिक स्तर (कक्षा नौ व दस) के छात्रों को भी मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा दिलाने का मन बना चुकी है। देर है तो बस राज्य सरकारों की रजामंदी की। राज्यों ने हामी भरी तो केंद्र सरकार अगले महीने से ही हाईस्कूल तक के छात्रों को भी शिक्षा का अधिकार कानून के दायरे में लाने की औपचारिकता शुरू कर देगी। सूत्रों के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कक्षा एक से आठवीं तक के छात्रों के लिए बने मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा कानून को कक्षा नौ व दस (हाईस्कूल) तक भी अमल का खाका तैयार कर लिया है, लेकिन यह उसके हाथ में नहीं है। इसलिए वह इस प्रस्ताव पर राज्य सरकारों की हां चाहती है। आगामी 7 जून को राज्यों के शिक्षामंत्रियों के सम्मेलन होगा। जबकि 8 जून को दिल्ली में ही केंद्रीय शिक्षा सलाहकार परिषद (केब) की भी बैठक है। बैठक में शिक्षा के अधिकार कानून के हाईस्कूल तक विस्तार के प्रस्ताव पर केब की राय ली जाएगी। गौरतलब है कि देश में शिक्षा से जुड़े फैसलों के लिए केब ही सबसे अहम् संस्था है। उसमें राज्यों के शिक्षा मंत्रियों के अलावा अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े विद्वान व शिक्षाविद् होते हैं। मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि केब की बैठक में राज्यों ने भी रजामंदी दी तो केंद्र इस एजेंडे के अमल की जरूरी औपचारिकताएं शुरू कर देगा। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने प्राइमरी और अपर प्राइमरी तक मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा का कानूनी प्रावधान जरूर कर दिया गया है, लेकिन माध्यमिक स्तर दबाव कम नहीं है। सर्वशिक्षा अभियान की सफलता के बाद माध्यमिक स्कूलों में अभी लगभग तीन करोड़ छात्र हैं। उनकी जरूरतों के लिहाज से माध्यमिक स्कूलों, शिक्षकों व दूसरे संसाधनों की कमी बड़ी चुनौती है। ऐसे में इस कदम से हर छात्र की कम से कम हाईस्कूल तक की पढ़ाई बिना उसके खर्चे के ही हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि सरकार ने 2017 तक सभी के लिए माध्यमिक शिक्षा के सर्वसुलभीकरण का लक्ष्य रखा है। लक्ष्य 2020 तक किसी भी बच्चे की पढ़ाई बीच में न छोड़ने को भी हासिल करना है। बताते हैं कि मुफ्त एवं अनिवार्य पढ़ाई का प्रावधान किये बिना इसे हासिल कर पाना आसान नहीं है। इसलिए केंद्र ने शिक्षा का अधिकार कानून को हाईस्कूल तक विस्तार का मन बना लिया है।