यशपाल शर्मा, चंडीगढ़ सपना हर घर में उजाला फैलाने का। ध्येय देश में बिजली की किल्लत खत्म करना। बिहार में मोतिहारी जिले के केसरिया गांव के रवि राजा ने इन बातों को गांठ बांधकर कमाल कर दिखाया है। उसने नए तरीके की विंड टरबाइन तैयार की है। दो मीटर व्यास व पांच मीटर ऊंचाई का सिलेंडर लगाने पर इससे 10 से 16 मेगावाट बिजली तैयार हो सकेगी। इतनी बिजली से 15 हजार आबादी वाला क्षेत्र रोशन हो सकेगा। नई विंड टरबाइन में दो जनरेटर लगे हैं। यह जीरो डिग्री रोटेशन पर काम करेगी। दोनों तरफ से हवा चलने पर भी यह सही दिशा में घूमेगी। केंद्रीय विद्यालय दिल्ली कैंट के 10वीं के छात्र रवि ने डेढ़ वर्ष पहले इसे बनाना शुरू किया था। रवि चंडीगढ़ स्थित पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में इनीशिएटिव फॉर रिसर्च एंड इनोवेशन इन साइंस (आइआरआइएस) के नेशनल फेयर में भाग लेने आया था। भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में आविष्कार के लिए उसे रविवार को स्वर्ण पदक मिला। रवि ने बताया कि पुरानी विंड टरबाइन में एक ही जनरेटर है और उसमें जीरो डिग्री रोटेशन की सुविधा नहीं है। दोनों तरफ से हवा आने पर अलग-अलग दिशा में घूमने लगती है। गलत दिशा में घूमने से इसकी आरपीएम (रेवोल्यूशन पर मिनट) कम हो जाती है। इसकी ऊर्जा उत्पादन क्षमता मात्र पांच से आठ मेगावाट है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पुरानी विंड टरबाइन अधिक उपयोगी नहीं रह गई है। इसलिए उसका लक्ष्य नए युग की विंड टरबाइन को केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से पेटेंट कराना है, ताकि उसकी खोज को कोई चुरा न सके। विश्व में इस तरह की यह पहली टरबाइन है। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के निदेशक वीसी सिंह ने रवि की नई टरबाइन देखने के बाद कहा कि बिजली उत्पादन के क्षेत्र में यह बहुत उपयोगी सिद्ध होगी। इसे पेटेंट कराने के लिए वह रवि की हरसंभव मदद करेंगे।