Saturday, 19 November 2011

कागजों में फावड़ा-कुदाल चला रहे स्कूली बच्चे

ब्रजेश पांडेय, सिद्धार्थनगर केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा में मनमानी हो रही है। कहीं रसोइया मजदूर हैं तो कहीं सफाई कर्मी तो कहीं शिक्षा मित्र। स्कूल के बच्चों के नाम से जॉब कार्ड बने हैं। कागजों में वह भी कुदाल और फावड़ा चला रहे हैं। अपनी जेब गर्म करने के लिए ग्राम प्रधान और अधिकारी मिलीभगत करके इसी तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। ऐसा फर्जीवाड़ा जिले के कई ग्राम पंचायतों में चल रहा है, लेकिन जिम्मेदार मौन हैं। सिद्धार्थ नगर जिले के उसका ब्लाक के गंगाधरपुर गांव निवासी हेमंत कुमार और राधेश्याम क्षेत्र के ही राधेश्याम हनुमानगढ़ी इंटर कालेज में दसवीं के छात्र हैं। दोनों रोज पढ़ने जाते हैं। रजिस्टर में उपस्थिति भी दर्ज है लेकिन मनरेगा के जॉब कार्ड से पता चलता है कि इसी दौरान कई दिनों तक उन्होंने गांव में कुदाल चला कर मजदूरी की। कुछ ऐसा की मामला आठवीं की छात्रा गीता के साथ है, वह भी मनरेगा के तहत कागज में कुदाल चला रही है। दसवीं के छात्र कैलाश के नाम से मनरेगा के तहत 1440 रुपये का भुगतान हुआ है। संतराम तो पढ़ाई छोड़कर पंजाब कमाने चला गया, उसके नाम से 7500 रुपये का भुगतान हुआ है। विकास खंड बढ़नी के मनकौरा गांव में जूनियर हाई स्कूल की छात्रा नूरजहां भी मनरेगा मजदूर है। नाबालिग है तो क्या, कागज में काम तो मिला है। महेन्द्र यादव बीए का छात्र हैं। बड़े घराने का है, उसके नाम भी जॉब कार्ड बना है। नौगढ़ ब्लाक के कपिया बुकनिया ग्रांट के बेचन यादव व संतोष जय किसान इंटर कालेज सकतपुर सनई में ग्यारहवीं के छात्र हैं। दोनों पढ़ने जाते हैं, लेकिन उन्हें मनरेगा के तहत भुगतान किया जा रहा है। भड़ेहर ग्रांट के नवरंगी भारती, मनीराम यादव, अनिल कुमार, अवधेश, विशाल आदि तमाम ऐसे छात्र हैं जो स्कूल में पढ़ने के साथ मनरेगा की कुदाल चला रहे हैं।
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