नई दिल्ली, एजेंसी : सुप्रीमकोर्ट ने प्रस्तावित औषधि नीति पर अमल से दवा कीमतों में भारी वृद्धि की आशंका के मद्देनजर केंद्र से कहा है कि नई नीति से कीमतें कम होनी चाहिए, बढ़नी नहीं चाहिए। अदालत ने कहा है कि ऐसा नहीं हुआ तो आम आदमी को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और एसडी मुखोपाध्याय ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा, यह आशंका जताई जा रही है कि नई औषधि नीति अपनाने के बाद दवा की कीमतें बढ़ जाएंगी। ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में भारत में हमारे पास बहुत अधिक उपभोक्ता हैं। पीठ ने कहा, दवाओं की कीमत और साधारण लैब टेस्ट की कीमत पहले ही काफी अधिक है। सरकार सुनिश्चित करे कि ये दाम और न बढ़ें। इससे पहले अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल पराग त्रिपाठी ने अदालत को बताया कि नई नीति की अधिसूचना सिर्फ तभी जारी की जाएगी, जब मंत्रियों का समूह (जीओएम) करीब तीन महीने में इस पर कोई फैसला करेगा। जनहित याचिका में शिकायत की गई थी कि अभी करीब 78 दवाएं औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश-1995 के तहत आती हैं, जो शेष दवाओं को आम आदमी की पहुंच से बाहर करती है। वहीं, रसायन एवं पेट्रोकेमिकल्स विभाग (डीसीपीसी) ने एक हलफनामे के जरिए अदालत को सूचित किया कि वह पहले ही एक नई नीति तैयार करने के लिए कार्य शुरू कर चुका है, जिसमें 348 दवाओं को राष्ट्रीय आवश्यक औषधि सूची 2011 में शामिल किया गया है और इससे संबद्ध दवाएं मूल्य नियंत्रण के दायरे में आएंगी।