Monday, 5 September 2011

भ्रष्टाचार नियंत्रण को बिहार ने की ऐतिहासिक पहल

पटना, जागरण संवाददाता: भ्रष्टाचार के खिलाफ राष्ट्रव्यापी गूंज के बीच बिहार ने रविवार को इस मोर्चे पर मिसाल कायम की। अनैतिक तरीके से संपत्ति अर्जित करने वाले आइएएस के वरिष्ठ अधिकारी शिवशंकर वर्मा के यहां रुकनपुरा स्थित बंगला को जब्त कर लिया गया। सरकार ने इसे अपनी संपत्ति मान ली है। देश के लिए यह पहला मौका है, जब किसी राज्य सरकार ने किसी अफसर की संपत्ति को इस अंदाज में जब्त किया है। सरकार इसमें स्कूल खोलने की तैयारी में है। पटना के जिला दंडाधिकारी के आदेश पर रविवार को एसएस वर्मा के आवास की जब्ती की कार्रवाई शाम छह बजे तक चली। मूल रूप से लखनऊ में मोहनलाल गंज तहसील के नगराम थाना क्षेत्र में गरहा गांव के मूल निवासी वर्मा के खिलाफ स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने (डीए) का मुकदमा दर्ज किया हुआ है। छह जुलाई, 2007 को एजेंसी ने उनके ठिकानों पर छापा मारा था। सिर्फ उनके लाकर से नौ किलो सोना मिला था। छापामारी के दौरान वर्मा लघु सिंचाई विभाग के सचिव थे। इससे पहले भी वे लगातार महत्वपूर्ण पदों पर रहे। निगरानी की विशेष अदालत से आरोप सिद्ध होने के बाद वर्मा ने हाईकोर्ट में राहत के लिए याचिका दायर की लेकिन कोई फायदा नहीं। 11 मई, 2011 को निगरानी के विशेष न्यायाधीश आरसी मिश्र ने राज्य सरकार के बिहार विशेष न्यायालय अधिनियम-2009 के एक्ट-13 ई के तहत संपत्ति जब्ती का फैसला सुनाया था। 19 अगस्त, 2011 को पटना हाइकोर्ट ने इस पर अपनी मुहर लगायी। अंतत: रविवार को पटना के जिला दंडाधिकारी संजय कुमार सिंह ने वर्मा के सौभाग्य शर्मा पथ रूकनपुरा स्थित बंगले को अधिहरण वाद संख्या- 1/2011-12 में संपत्ति जब्त करने का आदेश पारित किया और जब्ती हो गई। ढेर सारे पाइप लाइन में: नीतीश : यह भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी जंग का सार्थक चरण है। हमने ऐसी व्यवस्था की हुई है कि कोई सपने में भी गड़बड़ी करने की न सोचे। इसी मामले में साबित हो गया कि कोई गलत तरीके से संपत्ति को अर्जित कर उसे छुपा नहीं सकता है। ऐसी संपत्तियों को जब्त कर हम स्कूल खोलेंगे, उसका सार्वजनिक उपयोग होगा। अभी ढेर सारे लोग पाइपलाइन में हैं।
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