चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो : शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून का स्वागत करते हुए कहा कि इसे लागू करने से पहले व्यापक विचार-विमर्श होना चाहिए। सोमवार को नई दिल्ली में हुई बैठक में मंत्री ने सुझाव दिया कि आरटीई कानून को लागू करने में आर रही दिक्कतों को दूर करने में केंद्र सरकार मदद करे। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डॉ. डी पुरंदेश्वरी ने की। गीता भुक्कल ने कहा कि चार से छह वर्ष तक के बच्चों की स्कूल पूर्व शिक्षा की देखरेख आंगनबाड़ी कार्यक्रम के अंतर्गत की जा रही है, जहां बच्चों को खाना भी दिया जा रहा है। आगंनबाड़ी के केंद्र स्कूल परिसर में होने चाहिए, ताकि बच्चों की स्कूल जाने की निरंतरता बनी रहे। प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती की जा रही है। स्कूल की पढ़ाई में बाधा न पडे़, इसलिए सभी शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की तारीख 31 मार्च कर दी गई है, लेकिन वास्तविक स्थिति यह है कि शिक्षक अब महसूस करते हैं कि आरटीई के लागू होने से बच्चों की पढ़ाई में रुचि नहीं रही। अनुशासन भी पहले जैसा नहीं रहा और सख्ती करने की भी अनुमति नहीं है। शिक्षकों की भी आरटीई के बारे में ट्रेनिंग एवं काउंसलिंग होनी चाहिए। गीता भुक्कल ने कहा कि स्कूल पूर्व और माध्यमिक शिक्षा को आरटीई के दायरे में लाने के बारे में जो भी आदेश होंगे, हम उनको लागू करने की पूरी कोशिश करेंगे। मानव संसाधन राज्यमंत्री डॉ. पुरंदेश्वरी ने कहा कि संविधान में 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए निश्शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है। बैठक में स्कूल पूर्व शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा के बारे में दो समितियां बनाने का फैसला किया गया। ये दोनों समितियां एक महीने के अंदर दृष्टिकोण पत्र प्रस्तुत करेंगी, जिन पर आगे विचार किया जाएगा।