नई दिल्ली, एजेंसी : सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि किसी किशोर की उम्र का निर्धारण करने के लिए सिर्फ चिकित्सकीय जांच पर निर्भरता उचित नहीं है। इसके लिए चिकित्सा रिपोर्ट से पहले दसवीं कक्षा या जन्म तिथि अथवा स्कूल छोड़ने संबंधी प्रमाण पत्र (टीसी) को वरीयता दी जानी चाहिए। शीर्ष न्यायालय का साफ कहना था कि किशोर उम्र निर्धारण के लिए मेडिकल जांच की बजाय शैक्षिक या जन्म तिथि प्रमाण पत्र को आधार बनाया जाना चाहिए। आरोपी शाह नवाज के खिलाफ हत्या के आरोपों को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति पी सथशिवम और न्यायमूर्ति बीएस चौहान की पीठ ने यह व्यवस्था दी। अदालत का कहना था कि किसी किशोर की उम्र का निर्धारण करने के लिए चिकित्सकीय जांच को तभी आधार बनाया जाना चाहिए, जब शैक्षिक और जन्म तिथि प्रमाण पत्र उपलब्ध न हों। पीठ के अनुसार, जब अन्य प्रमाण पत्र मौजूद हों तब सिर्फ चिकित्सकीय जांच को आधार बनाया जाना अनुचित है। शीर्ष अदालत ने आरोपी शाह नवाज के खिलाफ हत्या के मामले में सत्र न्यायालय और इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को दरकिनार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि किशोर की उम्र निर्धारण के मामले में अन्य दस्तावेजों की अनदेखी कर सिर्फ मेडिकल जांच को आधार बनाकर अधीनस्थ न्यायालयों ने गंभीर त्रुटि की है। दोनों न्यायालयों ने शाह नवाज की उम्र का निर्धारण करते वक्त मेडिकल जांच रिपोर्ट को आधार बनाया और हत्या के मामले में आरोपी के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत प्रदान कर दी।सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में किशोर न्याय बोर्ड के फैसले को बरकरार रखा। बोर्ड ने अपने फैसले में कहा था कि शाह नवाज के खिलाफ हत्या के मामले में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है क्योंकि घटना के दिन वह बालिग नहीं था। बोर्ड ने शाह नवाजा की टीसी और मार्कशीट के आधार पर उसका जन्म तिथि 18 जून, 1983 मानते हुए यह फैसला सुनाया था। जबकि सत्र न्यायालय और हाईकोर्ट ने मेडिकल जांच के आधार पर उसे किशोर मानने से इंकार कर दिया था और हत्या का मुकदमा चलाने की इजाजत दी थी। शाह नवाज ने उक्त आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।