केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की बैठक में होगी इस मुद्दे पर चर्चा
पंकज पाण्डेय. नई दिल्ली
पहली से आठवीं कक्षा तक 6 से 14 साल के बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा का कानून लागू होने के साल भर बाद भी पूरी तरह से अमल में नहीं आ पाया है। फिर भी केंद्र सरकार इसका दायरा दसवीं कक्षा तक बढ़ाने में जुट गई है। इसके लिए अलग से कानून बनाया जाएगा। केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (कैब) की बैठक में इस मसले को प्रमुख एजेंडे के तौर पर शामिल किया गया है।
कैब की बैठक में सभी राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की मौजूदगी में मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल केंद्र की योजना का खाका राज्यों के सामने पेश करेंगे। अगर कैब की संस्तुति मिली तो दसवीं तक के बच्चों के लिए अनिवार्य शिक्षा पर कानून बनाने की दिशा में सरकार के कदम आगे बढ़ेंगे। दायरा बढ़ाने का तर्क : शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) का दायरा बढ़ाने की मंशा के पीछे तर्क यह है कि अगले दो तीन सालों में बड़ी संख्या में बच्चे आठवीं पास करके ऊपर की कक्षाओं में दाखिले के लिए आएंगे। सरकार की योजना 12वीं पंचवर्षीय योजना में शिक्षा का फोकस पूरी तरह सेंकेंडरी एजुकेशन पर रखने की है। इसके लिए राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) पहले ही लांच किया जा चुका है। मानव संसाधन मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि आठवीं तक मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा को सर्व साक्षरता अभियान में शामिल करके लागू किया जा रहा है, ठीक उसी तर्ज पर सेकेंडरी तक दायरा बढऩे पर इसे आरएमएसए के साथ शामिल किया जा सकता है।
कैब की बैठक में सभी राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की मौजूदगी में मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल केंद्र की योजना का खाका राज्यों के सामने पेश करेंगे। अगर कैब की संस्तुति मिली तो दसवीं तक के बच्चों के लिए अनिवार्य शिक्षा पर कानून बनाने की दिशा में सरकार के कदम आगे बढ़ेंगे। दायरा बढ़ाने का तर्क : शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) का दायरा बढ़ाने की मंशा के पीछे तर्क यह है कि अगले दो तीन सालों में बड़ी संख्या में बच्चे आठवीं पास करके ऊपर की कक्षाओं में दाखिले के लिए आएंगे। सरकार की योजना 12वीं पंचवर्षीय योजना में शिक्षा का फोकस पूरी तरह सेंकेंडरी एजुकेशन पर रखने की है। इसके लिए राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) पहले ही लांच किया जा चुका है। मानव संसाधन मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि आठवीं तक मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा को सर्व साक्षरता अभियान में शामिल करके लागू किया जा रहा है, ठीक उसी तर्ज पर सेकेंडरी तक दायरा बढऩे पर इसे आरएमएसए के साथ शामिल किया जा सकता है।