राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (आरयूएचएस) ने हाई कोर्ट के निर्देश पर राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में अध्ययन कर रहे 16 ऐसे विद्यार्थियों का प्रवेश निरस्त कर दिया है, जिन्होंने खुद के स्थान पर दूसरों से परीक्षा दिलवाकर प्रवेश लिया था। इन विद्यार्थियों ने 2009 में आरपीएमटी के बाद प्रदेश के 7 मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लिया था। वे परीक्षा के दौरान अलग-अलग मामलों में दोषी पाए गए।
विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार अनुप्रेरणा कुंतल ने बताया कि 16 आरोपी विद्यार्थियों के खिलाफ संबंधित थानों में मामला दर्ज कराने के लिए 2 मई को पुलिस महानिदेशक को लिखा था। हाई कोर्ट की जयपुर पीठ की ओर से आईजी पुलिस (कार्मिक) पीके सिंह की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी ने सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 1992 के तहत परीक्षा केंद्रों के थाना क्षेत्रों में आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने की अनुशंसा की थी। परीक्षा केंद्रों के इनविजिलेटर, ऑब्जर्वर व केंद्राधीक्षक पर भी कार्रवाई को कहा था। एसएमएस मेडिकल कॉलेज ने एमबीबीएस में पढ़ रहे प्रशांत महर व चंद्रशेखर मीणा का प्रवेश निरस्त करने के आदेश दिए है। साथ ही एनाटॉमी, फीजियोलॉजी, फोरेंसिक मेडिसिन, बायोकेमिस्ट्री व माइक्रोबायोलॉजी विभाग को इन छात्रों के क्लास में प्रवेश तथा सभी तरह की रोक लगा दी है।
विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार अनुप्रेरणा कुंतल ने बताया कि 16 आरोपी विद्यार्थियों के खिलाफ संबंधित थानों में मामला दर्ज कराने के लिए 2 मई को पुलिस महानिदेशक को लिखा था। हाई कोर्ट की जयपुर पीठ की ओर से आईजी पुलिस (कार्मिक) पीके सिंह की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी ने सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 1992 के तहत परीक्षा केंद्रों के थाना क्षेत्रों में आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने की अनुशंसा की थी। परीक्षा केंद्रों के इनविजिलेटर, ऑब्जर्वर व केंद्राधीक्षक पर भी कार्रवाई को कहा था। एसएमएस मेडिकल कॉलेज ने एमबीबीएस में पढ़ रहे प्रशांत महर व चंद्रशेखर मीणा का प्रवेश निरस्त करने के आदेश दिए है। साथ ही एनाटॉमी, फीजियोलॉजी, फोरेंसिक मेडिसिन, बायोकेमिस्ट्री व माइक्रोबायोलॉजी विभाग को इन छात्रों के क्लास में प्रवेश तथा सभी तरह की रोक लगा दी है।