जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : राज्य सरकार की ओर से स्कूलों में
उच्चस्तरीय शिक्षा प्रदान करने के लिए भर्ती किए जा रहे हजारों अध्यापकों
की नियुक्ति प्रक्रिया समाप्त होने से पहले ही विवाद के घेरे में आ गई है।
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कुछ उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिका पर
सुनवाई के बाद स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि जिन उम्मीदवारों की योग्यता पर
विवाद है उनका साक्षात्कार तो लिया जा सकता है, परंतु अंतिम परिणाम तब तक
घोषित नहीं किया जाए जब तक मामले का निपटारा न हो जाए।
संवैधानिक
मामलों के विशेषज्ञ अनुपम गुप्ता के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है
कि प्रदेश सरकार ने बड़े स्तर पर अध्यापकों की नियुक्ति हेतु आवेदन मांगे
और तीन योग्यताओं में छूट दे दी गई। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि उन उ
मीदवारों को भी साक्षात्कार हेतु बुला लिया गया, जिन्होंने एमए, बीएड की
शिक्षा नहीं ले रखी या फिर जिन्होंने अध्यापक योग्यता टेस्ट पास नहीं कर
रखा था। कुछ ऐसे उम्मीदवारों को भी साक्षात्कार देने की छूट दे दी गई,
जिनका रिकॉर्ड काफी बढ़िया नहीं है। जिन लोगों ने हाई कोर्ट का दरवाजा
खटखटाया है उनका कहना है कि असल में अध्यापकों की भर्ती के लिए जो तय
योग्यताएं हैं उन सभी को वे पूरा करते हैं, परंतु अयोग्य उम्मीदवारों को
साक्षात्कार में बुला कर हमारे अधिकारों का हनन किया गया है। मंगलवार को
हुई बहस के दौरान यह कहा गया कि चाहे सरकार खुले तौर पर न कहे, परंतु उन
गेस्ट टीचरों को एडजस्ट करने का प्रयास किया गया है, जो गत 4 वर्षो से
राज्य के स्कूलों में कार्यरत हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उनकी तरफ
से गेस्ट टीचरों की भर्ती का भी मुद्दा उठाया गया, जो इस समय हाई कोर्ट के
विचाराधीन है। इस भर्ती में भी काफी बड़े स्तर पर अनियमितताएं बरती गईं,
जिस कारण हाई कोर्ट को काफी सख्त आदेश पारित कर उन अधिकारियों के विरुद्ध
कार्रवाई करने का आदेश दिया था, जिन्होंने योग्यता न रखने वाले व्यक्तियों
को गेस्ट टीचरों के रूप में भर्ती किया। यही नहीं, बल्कि उन अधिकारियों से
वेतन की राशि वसूलने की बात भी कही गई है, जिन्होंने अवैध रूप से भर्ती पाए
गए गेस्ट टीचरों का वेतन रिलीज कर दिया।