भिवानी, 11 अपै्रल (हप्र)। सरकारी, मान्यता प्राप्त व अनुदान प्राप्त स्कूलों में 4 वर्ष का शिक्षण अनुभव रखने वाले अध्यापकों को बिना पात्रता परीक्षा पास किए भर्ती में शामिल होने का मौका देने के निर्णय पर बिफरे पात्र अध्यापकों ने निर्णय को वापस न लेने की सूरत में रोहतक स्थित संविधान स्थल पर सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी दे डाली है। इसके साथ ही पात्र अध्यापक संघ ने अंादोलन का बिगुल बजाते हुए 15 अप्रैल को मंडल स्तर पर रोष प्रदर्शन करने व पात्रता प्रमाण पत्र की शव यात्रा निकालने का ऐलान किया है। वहीं पात्र अध्यापकों के कड़े तेवरों से सकपकाई सरकार ने भी कदम वापस खींचने के संकेत दे दिए हैं।
पात्र अध्यापक संघ द्वारा मामले को मानव संसाधन मंत्रालय की फैक्स के माध्यम से प्रेषित किया गया जिसके बाद सरकार के इस फैसले पर पर मानव संसाधन मंत्रालय ने कड़ा संज्ञान लिया है और सरकार द्वारा पात्रता परीक्षा में छूट देने के निर्णय पर कड़ा एतराज जताया है। मंत्रालय की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया व विरोध को देखते हुए शिक्षा मंत्री ने भी पूरे निर्णय पर पुनर्विचार के संकेत दिए हैं। अब तक किसी भी सरकार ने मानव संसाधन मंत्रालय के स्पष्ट निर्देषों को दरकिनार कर इस प्रकार का तुगलकी फरमान जारी नहीं किया है। जैसे ही सरकार ने अतिथि अध्यापकों के मोह में पात्रता परीक्षा पास होने के जरूरी प्रावधान बाईपास कर छूट का ऐलान किया पात्रता परीक्षा पास उम्मीदवार भी सरकार पर दबाव बनाने में जुट गए हैं।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि प्रदेश में एक लाख से ज्यादा पात्रता परीक्षा पास योग्य उम्मीदवार हैं। फिर भी सरकार द्वारा छूट का निर्णय लेने के औचित्य पर प्रदेश के शिक्षाविद् भी सवाल उठा रहे हैं व इसे पात्रता परीक्षा पास प्रतिभावान युवाओं के साथ अन्याय बता रहे हैं। वहीं सरकार केे इस फैसले से यह भी स्पष्ट नहीं है कि चार वर्ष का अनुभव लगातार शिक्षण कार्य का होना चाहिए या कभी भी चार वर्ष तक पढ़ाने का अनुभव होना छूट पाने के लिए पर्याप्त है। कानूनी तौर पर बात करें तो सरकार द्वारा दी जाने वाली पात्रता परीक्षा में इस प्रकार की छूट को माननीय हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट पूर्व में भी सरकार को फटकार लगाते हुए रद्द कर चुके हैं। दरअसल सरकार द्वारा अतिथि अध्यापकों को वर्ष 2009 में भी नियमित भर्ती में पात्रता परीक्षा से छूट, आयु सीमा में छूट व अनुभव के 24 अंकों का प्रावधान किया था। परंतु तब पात्रता परीक्षा पास उम्मीदवारों ने अतिथि अध्यापकों को दी गई छूट को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
पात्र अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा ने सरकार के निर्णय को प्रदेश के एक लाख पात्र अध्यापकों व उनके परिवारों के साथ छल व धोखा करार दिया है। उन्होंने कहा कि अतिथि अध्यापकों के मोह में अंधी होकर सरकार पात्रता परीक्षा पास अध्यापकों के साथ अन्याय कर रही है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस प्रकार की छूट को पूर्व में असैंवेधानिक ठहराने के बावजूद सरकार इस प्रकार के निर्णय से स्वयं को सर्वेसर्वा साबित करने पर तुली है
पात्र अध्यापक संघ द्वारा मामले को मानव संसाधन मंत्रालय की फैक्स के माध्यम से प्रेषित किया गया जिसके बाद सरकार के इस फैसले पर पर मानव संसाधन मंत्रालय ने कड़ा संज्ञान लिया है और सरकार द्वारा पात्रता परीक्षा में छूट देने के निर्णय पर कड़ा एतराज जताया है। मंत्रालय की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया व विरोध को देखते हुए शिक्षा मंत्री ने भी पूरे निर्णय पर पुनर्विचार के संकेत दिए हैं। अब तक किसी भी सरकार ने मानव संसाधन मंत्रालय के स्पष्ट निर्देषों को दरकिनार कर इस प्रकार का तुगलकी फरमान जारी नहीं किया है। जैसे ही सरकार ने अतिथि अध्यापकों के मोह में पात्रता परीक्षा पास होने के जरूरी प्रावधान बाईपास कर छूट का ऐलान किया पात्रता परीक्षा पास उम्मीदवार भी सरकार पर दबाव बनाने में जुट गए हैं।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि प्रदेश में एक लाख से ज्यादा पात्रता परीक्षा पास योग्य उम्मीदवार हैं। फिर भी सरकार द्वारा छूट का निर्णय लेने के औचित्य पर प्रदेश के शिक्षाविद् भी सवाल उठा रहे हैं व इसे पात्रता परीक्षा पास प्रतिभावान युवाओं के साथ अन्याय बता रहे हैं। वहीं सरकार केे इस फैसले से यह भी स्पष्ट नहीं है कि चार वर्ष का अनुभव लगातार शिक्षण कार्य का होना चाहिए या कभी भी चार वर्ष तक पढ़ाने का अनुभव होना छूट पाने के लिए पर्याप्त है। कानूनी तौर पर बात करें तो सरकार द्वारा दी जाने वाली पात्रता परीक्षा में इस प्रकार की छूट को माननीय हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट पूर्व में भी सरकार को फटकार लगाते हुए रद्द कर चुके हैं। दरअसल सरकार द्वारा अतिथि अध्यापकों को वर्ष 2009 में भी नियमित भर्ती में पात्रता परीक्षा से छूट, आयु सीमा में छूट व अनुभव के 24 अंकों का प्रावधान किया था। परंतु तब पात्रता परीक्षा पास उम्मीदवारों ने अतिथि अध्यापकों को दी गई छूट को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
पात्र अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा ने सरकार के निर्णय को प्रदेश के एक लाख पात्र अध्यापकों व उनके परिवारों के साथ छल व धोखा करार दिया है। उन्होंने कहा कि अतिथि अध्यापकों के मोह में अंधी होकर सरकार पात्रता परीक्षा पास अध्यापकों के साथ अन्याय कर रही है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस प्रकार की छूट को पूर्व में असैंवेधानिक ठहराने के बावजूद सरकार इस प्रकार के निर्णय से स्वयं को सर्वेसर्वा साबित करने पर तुली है