Wednesday, 11 April 2012

छूट के निहितार्थ-दैनिक जागरण सम्पादकीय

शिक्षा क्षेत्र में प्रयोगों, परीक्षणों का दौर थमा नहीं। साधन-संसाधन के तार्किक उपयोग की अवधारणा से किंचित विचलित कदमों से लक्ष्य तक कैसे पहुंचा जाएगा, शिक्षा व्यवस्था का भावी स्वरूप कैसा होगा, दृष्टिकोण का कितना परिमार्जन होगा, शिक्षकों के लिए कितने और व्यूह, कितने आसमान बनेंगे, खुलेंगे? यह सब हालांकि अभी भविष्य के गर्भ में है पर वर्तमान के प्रयासों में परिपक्वता हर स्तर पर नजर आनी ही चाहिए। फैसला वही परिपक्व माना जाता है जिसमें दूरदर्शिता पर आधारित सुखद भविष्य का सहज आधार वर्तमान में तैयार किया जाए। नए शासनादेश के मुताबिक अब चार साल का शैक्षणिक अनुभव रखने वाले शिक्षकों को नियमित भर्ती के लिए हरियाणा अध्यापक पात्रता परीक्षा यानी एचटेट से छूट प्रदान की जाएगी। हालांकि शर्त भी जोड़ी गई है कि 2015 तक आवेदक को पात्रता परीक्षा पास करनी होगी। प्रदेश सरकार अपनी जनहितैषी छवि को बरकरार रखने के लिए उन तमाम कदमों को अपनी नीति में शामिल कर रही है जो अधिसंख्य लोगों के तात्कालिक सरोकार से सीधे जुड़े हैं। हरियाणा शिक्षक भर्ती बोर्ड का ताजातरीन आदेश उन हजारों शिक्षकों के लिए आशा भरा संदेश लेकर आया है जो वषरें से अध्यापन में लगे हैं परंतु पात्रता या नियमित सरकारी नौकरी अभी तक नहीं हासिल कर पाए। निस्संदेह गेस्ट टीचर सर्वाधिक लाभ की स्थिति में रहेंगे। सरकार उनका कार्यकाल एक वर्ष और बढ़ाने की अनुमति अदालत से पा चुकी है। संभवत अब 322 कार्यदिवसों तक उनका कार्यकाल बढ़ाने की जिद्दोजहद चल रही है। यहां प्रश्न उठता है कि उन लाखों अध्यापकों की मन: स्थिति कौन समझेगा जो एचटेट परीक्षा पास करके नौकरी के लिए कतार में हैं। शिक्षण क्षेत्र की राज्य की यह सर्वाधिक प्रतिष्ठापूर्ण परीक्षा क्या अब विभाग को अप्रासंगिक नजर आने लगी? मान्यता प्राप्त या सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूल से अनुभव प्रमाणपत्र मिलना अधिक कठिन नहीं। क्या उन स्कूलों के लिए कोई निगरानी तंत्र विकसित किया जाएगा? इस बात की गारंटी कौन देगा कि 2015 तक ही पात्रता परीक्षा पास करनी होगी, इसे आगे नहीं बढ़ाया जाएगा? राज्य में अध्यापकों के 25 हजार से अधिक पदों पर नियमित भर्ती शीघ्र होने जा रही है। सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि पात्र अध्यापकों व गेस्ट टीचरों के बीच वर्गभेद एवं वैमनस्य की दीवार खड़ी न हो।
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