Saturday 29 October 2011

गांव के बच्चे गणित और भाषा में पिछड़े

कक्षा चार के बच्चे तक कक्षा एक के आसान शब्दों को सही रूप में पढ़-लिख नहीं पाते
नई दिल्ली। ग्रामीण क्षेत्रों में प्राइमरी स्कूलों के बच्चे गणित और भाषा में आमतौर पर कुशलता के जरूरी स्तर से भी कम से कम दो पायदान पिछड़े होते हैं। जहां बच्चों की सही वाक्य बनाने और लिखने की क्षमता बेहद कम है, वहीं कक्षा चार के बच्चे तो गणित के बुनियादी सवालों में ही उलझकर रह जाते हैं। ग्रामीण भारत में अध्ययन और अध्यापन पर जारी वार्षिक रिपोर्ट (एएसईआर) में यह चौंकाने वाली बात सामने आई है।
रिपोर्ट में आंध्र प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और राजस्थान के करीब 30 हजार बच्चों को शामिल किया गया है। रिपोर्ट में बच्चों की क्षमता का आकलन किया गया और इस बिंदु पर भी नजर रखी गई कि कौन सी बातें उनकी सीखने की प्रक्रिया को सबसे अधिक प्रभावित करती है। ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों की धीमी प्रगति की ओर इशारा करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन आसान शब्दों को पढ़ने के लिए कक्षा एक के छात्रों से अपेक्षा की जाती है, उन्हें कक्षा दो में भी 30 प्रतिशत से कम ही बच्चे पढ़ पाते हैं। साथ ही कक्षा तीन के भी केवल 40 फीसदी बच्चे ही उक्त शब्दों को ठीक से पढ़ पाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार यहां तक कि उच्च प्रदर्शन करने वाले राज्यों में भी कक्षा दो और चार के बच्चों को आसान शब्दों को सही रूप से लिखने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उक्त कक्षाओें के बच्चों की गणितीय योग्यता के बारे में रिपोर्ट कहती है कि इनमें से केवल 75 प्रतिशत बच्चे ही उन सवालों का जवाब दे पाते हैं, जिनका उत्तर कक्षा एक के बच्चों को भी पता होना चाहिए। अच्छी शिक्षा के लिए कक्षाओं में बच्चों की अटेंडेंस पर जोर देते हुए रिपोर्ट कहती है कि इसके लिए उपस्थिति प्रणाली दुरुस्त किए जाने की जरूरत है। रिपोर्ट में प्राइमरी स्कूलों की खस्ताहालत को बयां करते हुए कहा गया है कि इन स्कूलों में बिल्कुल भी अच्छा माहौल नहीं होता है।
एजेंसी
शिक्षा की स्थिति पर वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार प्राइमरी स्कूलों में बच्चों के लिए बेहतर माहौल नहीं
रिपोर्ट में आंध्र प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और राजस्थान के करीब 30 हजार बच्चे शामिल
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