दयानंद शर्मा, चंडीगढ़ : हरियाणा में अतिथि अध्यापकों को अब और सेवा विस्तार नहीं मिल पाएगा। पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने 31 मार्च 2012 के बाद इन्हें सेवा विस्तार न देने के आदेश दिया है। साथ ही नए अतिथि अध्यापकों की नियुक्ति पर भी पूर्ण रोक लगा दी है। हालांकि कोर्ट ने अभी एक वर्ष के लिए मिले सेवा विस्तार पर कोई रोक नहीं लगाई है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने यह फैसला अतिथि अध्यापकों की नियुक्ति व उन्हें समय समय पर मिलने वाले सेवा विस्तार को चुनौती देने वाली अंबाला निवासी तिलक राज की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। याचिकाकर्ता के वकील जगबीर मलिक ने बताया कि खंडपीठ ने कहा कि बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए कोर्ट अतिथि अध्यापकों को सरकार द्वारा एक साल के सेवा विस्तार पर रोक नहीं लगा रही है। साथ ही कोर्ट ने अतिथि अध्यापकों के मामले में सरकार द्वारा अपनाई गई नीति व बैकडोर एंट्री पर भी सवाल उठाए। खंडपीठ ने कहा कि अतिथि अध्यापकों को एक साल का समय इस शर्त पर दिया जा रहा है ताकि सरकार इस अवधि में शिक्षकों की नियमित भर्ती प्रक्रिया शुरू कर सके। हरियाणा सरकार ने कोर्ट में हलफनामा देकर कोर्ट में कहा है कि इस वर्ष 31 दिसंबर तक सभी पदों पर नियमित भर्तियां हो जाएंगी। कोर्ट ने साफ कहा कि सरकार अतिथि अध्यापकों को नियमित भर्ती में कोर्ट के आदेशानुसार किसी भी तरह की कोई छूट नहीं देगी। सभी अतिथि अध्यापकों को नियमित भर्ती के लिए नया आवेदन करना होगा व तय सभी शर्त पास करनी होंगी। तिलक राज ने याचिका में मांग की थी कि सरकार अतिथि अध्यापकों को हटाकर उनके स्थान पर स्थायी भर्ती करे। याचिका में कहा गया है कि हरियाणा सरकार ने 2005 में स्कूलों में अध्यापकों की कमी के चलते अस्थायी तौर पर लगभग 20 हजार अतिथि अध्यापकों की नियुक्ति की थी। शुरूआत में पीरियड के हिसाब से भुगतान करने की नीति थी। बाद में सरकार ने फिक्स वेतन व भर्ती को एक साल के लिए ठेका आधारित करने का फैसला किया। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि सरकार तय समय के बाद भी इन अध्यापकों को हटा नहीं रही है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि लगभग 70 प्रतिशत अतिथि अध्यापकों ने पात्रता परीक्षा पास नहीं की है