नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो : मेडिकल कॉलेजों में सिर्फ कागजों पर पढ़ाने वाले फर्जी डॉक्टरों की समस्या अब बढ़ जाएगी। ऐसे शिक्षकों की बड़ी तादाद को देखते हुए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) ने इस समस्या पर अंकुश लगाने का एक और कदम उठाया है। अब सभी शिक्षकों को साबित करना होगा कि वे जिस शहर में पढ़ा रहे हैं, उसी शहर में रहते भी हैं। इसके अलावा उनके डिग्री पाने से लेकर उस समय तक के सभी कागजात की जांच होगी और उनकी प्रमाणिकता की जिम्मेदारी उनके कॉलेज पर होगी। एमसीआइ ने सभी मेडिकल कॉलेजों को पत्र लिखकर अपने नए नियमों की जानकारी दे दी है। इसके मुताबिक अब कॉलेजों को न सिर्फ उनके यहां पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों के विभिन्न कागजात भिजवाने होंगे, बल्कि उनकी सत्यता भी प्रमाणित करनी होगी। इसी तरह एमसीआइ ने कहा है कि शिक्षकों के आवास के प्रमाण के रूप में टेलीफोन या बिजली का बिल लगाना होगा। एमसीआइ के अधिकारी बताते हैं कि दूसरे आवास प्रमाण पत्र यह नहीं दिखाते कि उनको बनाए जाने के बाद से संबंधित व्यक्ति वाकई वहां रह रहा है या नहीं। जबकि इन बिल से इस बारे में आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि संबंधित व्यक्ति इस जगह पर समय बिता भी रहा है। दिल्ली के एक मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल इस कवायद को बिल्कुल गैर जरूरी और अव्यावहारिक बताते हैं। ये कहते हैं कि अब लोग फिक्स्ड फोन तो वैसे भी इस्तेमाल नहीं कर रहे। इसी तरह किसी डॉक्टर को अपने नाम से ही बिजली कनेक्शन लेने को कहना भी अतार्किक है।