लखनऊ, शैलजा तिवारी : उत्तर प्रदेश के युवाओं में डॉक्टर बनने की चाहत कम होती जा रही है। वर्षो तक मोटी किताबें पढ़कर मरीजों की सेवा से इतर उन्हें कॉरपोरेट सेक्टर की जॉब ज्यादा रास आ रही हैं। कम से कम सीपीएमटी के बीते कुछ साल के आंकड़े तो यही बताते हैं। छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विवि के डीन प्रो.जेवी सिंह के मुताबिक 2003 में जब विवि ने सीपीएमटी आयोजित कराई थी, तो लगभग एक लाख दस हजार अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था। उसके बाद धीरे-धीरे यह संख्या कम होती गई। 2008 में सीपीएमटी में लगभग 90 हजार अभ्यर्थी बैठे थे। धीरे-धीरे अभ्यर्थी कम होते गए और यह संख्या वर्ष 2011 में घटकर 61 हजार के आसपास रह गई है। 2011 में सीपीएमटी में 64, 380 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, अधिकारियों के मुताबिक इनमें से पांच प्रतिशत अभ्यर्थी परीक्षा देने ही नहीं आए।