दयानंद शर्मा, चंडीगढ़ सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में कार्यरत अतिथि अध्यापकों को करारा झटका दिया  है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश निरस्त करने व प्रदेश में  शिक्षकों की नियमित भर्ती पर रोक लगाने के लिए अतिथि अध्यापकों की ओर से  दायर विशेष अनुमति याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दिया।  सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जीएस सिंघवी की खंडपीठ ने याचिका को खारिज करते  हुए हाईकोर्ट के फैसले को उचित बताया। जस्टिस सिंघवी ने मामले की सुनवाई के  दौरान हरियाणा में अतिथि अध्यापकों की भर्ती प्रकिया पर सवाल उठाते हुए  कहा कि क्या स्कूल के मुखिया द्वारा टीचर नियुक्ति प्रकिया सही है?  उन्होंने पूछा, सरकार ने अतिथि अध्यापकों की नियुक्ति उचित तरीके से क्यों  नहीं की।  कोर्ट ने कहा कि हरियाणा ने दबाव में आकर नियमित भर्ती के दौरान अतिथि  अध्यापकों को 24 अंक देने व अध्यापक पात्रता परीक्षा में छूट देने का जो  निर्णय लिया था, वह उचित नहीं था। सरकार ने दवाब के चलते नियमित भर्ती के  लिए विज्ञापन में यह छूट की बात नहीं की। बाद में एक छोटा शुद्धिपत्र जारी  कर अतिथि अध्यापकों को लाभ देने की घोषणा की। कोर्ट ने सरकार की नीयत पर  सवाल उठाते हुए कहा कि अनुभव के आधार पर अंक देने थे तो अतिथि अध्यापकों को  ही क्यों, अन्य निजी स्कूलों में पढ़ा रहे अध्यापकों को भी यह लाभ दिया  जाना चाहिए था।   सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के अतिथि अध्यापकों के प्रति अपनाए गए नरम रवैये  पर कहा कि यह गलत परंपरा है और नियमों के खिलाफ है। कोर्ट के अनुसार भर्ती  पूर्ण रूप से नियम के अनुसार होनी चाहिए। नियमित भर्ती में वही चुना जाना  चाहिए, जो सभी योग्यताएं पूरी करता हो। कोर्ट ने कहा कि अतिथि अध्यापकों ने  हाइ कोर्ट में लड़ाई हारने के बाद सरकार पर दबाव बनाया।
 
 
