Monday 7 November 2011

केजरीवाल ने विरोध के साथ चुकाया जुर्माना

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली अरविंद केजरीवाल ने आयकर विभाग की ओर से मांगी गई 9.27 लाख रुपये की रकम प्रधानमंत्री को एक पत्र के साथ भेज दी है। पत्र में उन्होंने कहा है कि यह रकम वे अपने विरोध के साथ भेज रहे हैं और कोर्ट जाकर इसे वापस मांग सकते हैं। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री से पूछा है कि छुट्टी के दौरान उनके जिन काम के लिए उन्हें दुनिया भर में पुरस्कार मिले, उसके लिए उनकी सरकार दंडित क्यों कर रही है? प्रधानमंत्री को संबोधित अपने चार पेज के पत्र में केजरीवाल ने कहा है कि यह रकम उन्होंने अपने कालेज के दिनों के मित्रों से कर्ज लेकर चुकाई है। साथ ही उन्होंने लिखा है, इस वक्त पूरी सरकारी मशीनरी टीम अन्ना के लोगों के पीछे पड़ी है। मेरी आपसे हाथ जोड़ कर गुजारिश है कि सरकार कृपया उन लोगों को परेशान न करे, जिन्होंने मुझे लोन दिया है। प्रधानमंत्री को पत्र लिखने का कारण स्पष्ट करते हुए केजरीवाल ने बताया है कि उन्हें जानकारी दी गई कि उनकी फाइल पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी गौर किया है और उन्हें दोषी पाया है। साथ ही कहा है, मैं अभी भी अपना दोष नहीं समझ पाया हूं, जिसकी मुझे सजा दी जा रही है। समझ आ जाए तो भविष्य में ऐसी गलती करने से बचूंगा। केजरीवाल ने अपने पत्र में लिखा है कि 9,27,787 रुपये का चेक वे जरूर भेज रहे हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वे अपना दोष स्वीकार कर रहे हैं। बल्कि यह राशि वे अंडर प्रोटेस्ट (विरोध सहित) जमा कर रहे हैं। साथ ही कोर्ट जाकर इसे वापस मांगने का उनका अधिकार सुरक्षित रहेगा। नौकरी के दौरान की स्थितियों और अपने काम के बारे में केजरीवाल ने विस्तार से बताया है। उन्होंने कहा है कि साल 2000 में अध्ययन अवकाश लेकर उन्होंने दो सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के कारणों को समझ कर उन्हें दूर करने के उपाय तलाशे। सरकारी दफ्तरों के बाहर डेरा डाल कर साढ़े तीन हजार लोगों को रिश्वत के बिना उनका अधिकार हासिल करवाया। अध्ययन अवकाश से लौटने के बाद एक साल तक उन्हें कोई काम नहीं सौंपा गया।
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