हांसी, पंकज नागपाल  एक ओर जहां सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों में दाखिले के लिए नित नई  सुविधाएं मुहैया करवाने के दावे किए जा रहे हैं वहीं हांसी में एक सरकारी  स्कूल ऐसा भी है जहां बच्चे तो स्कूल समय के अनुसार सुबह हाजिर हो जाते हैं  लेकिन शिक्षक हैं कि स्कूल को ताला लगाकर निर्धारित समय से एक-एक घंटा  देरी से पहुंचते हैं जिस कारण बच्चों को स्कूल का ताला खुलने तक सड़क पर  खड़े रह कर शिक्षकों के आने का इंतजार करना पड़ता है।  और तो और बच्चों को इस स्कूल में पढ़ाई की जगह मजदूरी तक करनी पड़ रही है।  आधुनिकता के इस दौर में सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों के स्तर को ऊंचा  उठाने के दावे किए जा रहे हैं वहीं इस स्कूल में बच्चे जमीन पर बैठ कर  पढ़ाई करके अपना भविष्य संवारने का प्रयास कर रहे हैं।  भिवानी मार्ग पर राम सिंह कालोनी में स्थित राजकीय प्राइमरी स्कूल पर  निर्धारित समय सुबह 8 बजे स्कूल के मुख्य द्वार पर ताला लगा होने पर  सैकड़ों बच्चे सोमवार सुबह शिक्षकों के आने का एक घंटे तक इंतजार करते रहे।  सड़क पर बैठ कर स्कूल खुलने का इंतजार कर रहे छोटे-छोटे बच्चों को देखकर  किसी ने इसकी सूचना दैनिक जागरण को दे दी जिस पर जागरण प्रतिनिधि ने मौके  पर पहुंच कर इन बच्चों की व्यथा जानी। बच्चों से पूछने पर उन्होंने बताया  कि स्कूल खुलने का समय सुबह 8 बजे का है लेकिन साढ़े 8 बजने के बावजूद भी  अभी तक वे स्कूल के बाहर खड़े होकर अध्यापकों के आने का इंतजार कर रहे हैं।  बच्चों ने बताया कि स्कूल को प्रतिदिन ताला लगाकर चाबी अध्यापक ले जाते  हैं और वे ताला खुलने के लिए अध्यापकों का इंतजार कर रहे हैं।  बच्चों ने बताया कि स्कूल में उनसे पढ़ाई की जगह पानी की टंकी साफ करवाई  जाती है और पानी की टंकी में गंदा पानी होने पर उन्हें अपनी प्यास बुझाने  के लिए सड़क पार कर दुकानों पर जाकर पानी पीना पड़ता है। यही नहीं, स्कूल  में पढ़ाने वाले अध्यापक का कोई परिचित या रिश्तेदार आ जाए तो स्कूल में  बच्चों को पढ़ाने का कार्य बीच में छोड़ अध्यापक अपने परिचित या रिश्तेदार  की मेहमान नवाजी के लिए छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल से बाहर सड़क पार करके  चाय व अन्य सामान लाने के लिए भेज देते हैं।  बच्चों ने बताया कि चाय की दुकान से वो पहले तो शिक्षक के आदेश पर चाय  लाते हैं और बाद में खाली कप देने के लिए जाते हैं। इस प्राइमरी स्कूल में  शिक्षा ग्रहण करने वालों में अधिकांश लड़के और लड़कियां गरीब परिवारों से  ताल्लुक रखते हैं।