Sunday 29 May 2011

शिक्षा ढांचे में कसावट जरूरी

शिक्षा अधिकार कानून को मंजूरी देकर हरियाणा मंत्रिमंडल ने एक अहम दायित्व तो पूरा कर लिया परंतु इसके अमल में आने वाली व्यावहारिक व संस्थागत दिक्कतों के समाधान का दायित्व भी प्रदेश सरकार पर है। निशुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार केंद्र सरकार का वह महत्वाकांक्षी लक्ष्य है जो शिक्षा स्तर व साक्षरता दर को निश्चित तौर पर बहुत आगे बढ़ाएगी। प्रदेश सरकार की पहली जिम्मेदारी शिक्षा ढांचे में कसावट लाने की है। ग्राम, ब्लाक, तहसील व उपमंडल स्तर पर सरकारी स्कूलों को स्वरूप व शिक्षा पद्धति निजी स्कूलों के मुकाबले कहीं नहीं टिकती। सरकारी विद्यालयों में अब भी कहीं न कहीं जुगाड़ करके ही पाठ्यक्रम पूरा करने की औपचारिकता की जा रही है। दक्ष व प्रशिक्षित अध्यापक बेरोजगार घूम रहे हैं जबकि गेस्ट टीचरों अथवा अनुबंधित अध्यापकों से काम लिया जा रहा है। आज वास्तविकता यह है कि अतिथि अध्यापकों की अवधारणा अप्रासंगिक हो चुकी है परंतु राजनैतिक प्रतिबद्धता के चलते कारवां थम नहीं रहा। हाईकोर्ट के फैसले के बाद अगले वर्ष तो इस सिलसिले पर अंकुश लग जाएगा परंतु एक लंबे अर्से तक इस व्यवस्था के जारी रहने के लाभ-हानि का आकलन अवश्य किया जाना चाहिए। मंत्रिमंडल के नए प्रावधानों में सबसे व्यावहारिक नजर आ रहा है स्कूल प्रबंधन के विकेंद्रीकरण का। हर स्कूल में प्रबंधन कमेटी होगा और स्कूल मामलों में निर्णायक भूमिका निभाएंगे अभिभावक। कुछ अन्य प्रावधान भी हैं जो निश्चित तौर पर स्कूलों के स्तर व शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाएंगे परंतु अनेक दायित्व अब भी ऐसे हैं जो सरकार व शिक्षा विभाग की प्राथमिकता में शामिल होने चाहिए। पाठ्य पुस्तकें समय पर उपलब्ध होनी चाहिए। सर्व शिक्षा अभियान के तहत आठवीं की पुस्तकें अब तक स्कूलों में नहीं पहुंच पाई जबकि एक जून से ग्रीष्मावकाश शुरू हो जाएगा। शिक्षा अधिकार कानून पर निजी स्कूलों का क्या रुख रहेगा। क्या वे सरकार के साथ कदमताल दिखाएंगे। कानून की अवहेलना या उल्लंघना करने वाले विद्यालयों से सरकार कैसे निपटेगी, किस दंड का प्रावधान होगा, इस बारे में सभी को जागरूक किए जाने की आवश्यकता है। सर्व शिक्षा अभियान की गहराई में जाने पर अनेक व्यवस्थागत व नीतिगत खामियां नजर आती हैं जो शिक्षा का प्रवाह बाधित करने के साथ कई मायने में शिक्षक के मूल दायित्व को अस्पष्ट बना रही हैं। अभियान में लगे अनेक शिक्षकों की हालत लिपिक जैसी देखी जा रही है। सिस्टम में कसावट लानी होगी।
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