Sunday 29 May 2011

सरकार लेगी ईटीटी परीक्षा

जागरण ब्यूरो, चंडीगढ़ : अपनी मनमानी से ईटीटी कोर्स में प्रवेश देने वाले 51 निजी ईटीटी संस्थानों पर पंजाब सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी, लेकिन इन संस्थानों में ईटीटी कोर्स कर रहे करीब 5000 विद्यार्थियों के भविष्य के मद्देनजर एससीईआरटी अपनी देखरेख में उनकी परीक्षाएं लेगी। इसके संबंध में अदालत में चल रहे मामलों को दोनों पक्ष वापस लेंगे। पंजाब के शिक्षा विभाग के विशेष सचिव एवं सर्व शिक्षा अभियान के निदेशक बी. पुरुषार्था ने शुक्रवार को मीडिया के समक्ष यह दावा किया। उधर, अंदरुनी सूत्रों ने बताया कि शिक्षा विभाग ने सभी संबंधित विभागों को पत्र जारी कर स्पष्ट कहा है कि अगले 15 दिनों के अंदर निजी ईटीटी संस्थानों के विद्यार्थियों की परीक्षाएं शुरू कर दी जाएं। दरअसल राज्य के 51 निजी ईटीटी संस्थानों ने सरकार को पूरी तरह नजरअंदाज करते हुए शैक्षणिक सत्र 2009-11 और 2010-12 के लिए अपने स्तर पर दाखिले दे दिए। इनमें से कई संस्थान तो नेशनल कौंसिल ऑफ टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) और एससीईआरटी पंजाब दोनों से पंजीकृत नहीं हैं। अधिकांश के पास एनसीटीई की मान्यता तो है लेकिन एससीईआरटी की मान्यता नहीं हैं, जबकि राज्य में एनसीटीई की मार्फत एससीईआरटी ही परीक्षा लेने वाली अधिकृत सरकारी बॉडी है। जो संस्थान एससीईआरटी से मान्यताप्राप्त नहीं हैं, उनके विद्यार्थियों की परीक्षा एससीईआरटी कैसे ले सकती है? परीक्षा न ले सकने संबंधी एससीईआरटी का स्टैंड निजी संस्थानों और शिक्षा विभाग के बीच विवाद का रूप धारण कर गया, जो हाईकोर्ट तक पहुंचा हुआ है। इसकी अगली सुनवाई आगामी 2 जून को है। बी. पुरुषार्था ने इसी केस के संबंध में दावा किया कि दोनों पक्ष केस वापस लेने जा रहे हैं। दोनों पक्षों में सरकार की तरफ से एससीईआरटी और एसोसिएशन ऑफ पंजाब सेल्फ फाइनेंस कॉलेज ऑफ एजुकेशन मोहाली व अन्य शामिल हैं। निजी संस्थानों के मनमाने दाखिलों का रोचक तथ्य यह है कि इनमें से 26 संस्थान एससीईआरटी से पंजीकृत भी हैं। इनमें से 13 ईटीटी संस्थानों ने विशेष निर्णय के तहत ईजीएस टीचरों को ईटीटी कोर्स कराने की सरकार की अपील भी मानी, लेकिन अपने स्तर पर अलग से दाखिले भी कर लिए। जबकि 11 निजी ईटीटी संस्थानों ने सरकार की अपील पर बेबसी जताई, लेकिन अपने स्तर पर दाखिला देने से नहीं नहीं चूके। लगभग सभी निजी ईटीटी कालेजों ने दो अलग-अलग संगठनों के तहत दाखिलों को ऑनलाइन अंजाम दिया, जबकि दाखिला किसी एक संगठन व संस्थान की देखरेख में प्रवेश परीक्षा अथवा योग्यता परीक्षा के आधार पर होना चाहिए था। उधर, विभागीय सूत्रों का तर्क है कि सभी 51 निजी संस्थानों द्वारा करीब 5000 विद्यार्थियों के दाखिले के दौरान शिक्षा का अधिकार कानून, एनसीटीई और एससीईआरटी सहित तमाम नियमों व कानूनों को नजरअंदाज किया गया है और विद्यार्थियों को अंधेरे में रखा गया है।राज्य के स्कूल शिक्षा महानिदेशक बी. पुरुषार्था ने स्पष्ट किया कि इन सभी निजी संस्थानों पर कड़ी कार्रवाई होगी, लेकिन फिलहाल विद्यार्थियों के भविष्य के मद्देनजर इन विद्यार्थियों का एससीईआरटी द्वारा परीक्षाएं ली जाएंगी।
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