Saturday 28 May 2011

निजी स्कूलों की लूट पर लगेगी लगाम

राजकेश्वर सिंह, नई दिल्ली निजी स्कूलों की धोखाधड़ी और लूटखसोट रोकने की कवायद शुरू हो गई है। सरकार उसके लिए एक नया कानून बनाएगी। तब उन स्कूलों में दाखिले के लिए न तो चंदा लिया जा सकेगा और न ही किसी ऊल-जलूल फीस के बहाने वसूली हो सकेगी। इतना ही नहीं, वहां पढ़ाने वाले शिक्षकों को कम वेतन देकर भी उनसे ज्यादा भुगतान के दस्तावेजों पर दस्तखत भी नहीं कराई जा सकेगी। सूत्रों के मुताबिक स्कूली शिक्षा में हर तरह के गलत कार्यकलापों (मैलप्रैक्टिस) को रोकने के लिए सरकार एक नया कानून ही बनाना चाहती है। तर्क यह है कि देश में ऐसे स्कूलों की कमी नहीं, जो समुचित निकाय से मान्यता के बिना ही चल रहे हैं। छात्रों से मनमानी व मोटी फीस वसूली जाती है। चंदा या फिर अलग-अलग मदों में शुल्क के नाम पर अभिभावकों को परेशान किया जाता है। ऐसे भी स्कूल हैं, जहां शिक्षकों से दस्तावेज पर ज्यादा वेतन के लिए दस्तखत कराने के बाद उससे कम का भुगतान किया जाता है। इस धोखाधड़ी व लूटखसोट को रोकने के लिए ही सरकार नए कानून की जरूरत महसूस कर रही है। उल्लेखनीय है कि उच्च शिक्षा में मैलप्रैक्टिस को रोकने के लिए सरकार संसद में एक विधेयक ला चुकी है। सूत्रों का कहना है कि शिक्षा समवर्ती सूची (केंद्र व राज्य) का विषय है। केंद्र सरकार राज्यों पर अपना कोई कानून या व्यवस्था नहीं थोप सकती। लिहाजा मानव संसाधन विकास मंत्रालय जल्द ही इस नए कानून के मसले पर राज्यों से मशविरा करने जा रहा है। आगामी जून में केंद्रीय शिक्षा सलाहकार परिषद की बैठक के एजेंडे में भी इसे शामिल किया गया है। फिर भी यह राज्यों पर निर्भर करेगा कि वे इस कानून को अपने यहां लागू करते हैं या नहीं। अलबत्ता केंद्र के पास केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के स्कूल हैं। गौरतलब है कि देशभर में ढाई लाख से अधिक निजी स्कूल हैं। देश के कुल स्कूलों में उनका लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा है। लिहाजा सरकार उन्हें भी नियमों-कायदों के दायरे में लाने की तैयारी है। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने गुरुवार को यहां कहा कि शिक्षण संस्थाओं की मान्यता का विधेयक लाने के पीछे सरकार की मंशा ही यही है कि बिना मान्यता वाले स्कूल कतई नहीं चलने दिये जाएंगे।
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